कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या के बाद दिल्ली के डॉक्टर भी हड़ताल पर थे, जिन्होंने 11 दिनों के बाद काम पर लौट गए हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से हड़ताली डॉक्टरों से गुरुवार को फिर से काम पर लौटने की अपील किए जाने के बाद, एम्स, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) समेत विभिन्न आंदोलनकारी रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने अपने 11 दिवसीय विरोध प्रदर्शन को वापस लेने की घोषणा की.
उधर, कोलकाता जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार रात कहा कि वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की दलील से पता चलता है कि प्रारंभिक जांच के दौरान कोलकाता पुलिस ने मामले को छुपाया था. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फोरम ने कहा कि अपनी कार्ययोजना के तहत हम शुक्रवार को सीबीआई कार्यालय में एक प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे. हम वहां जाकर उन्हें अपनी कुछ चिंताओं से अवगत कराएंगे, जांच की प्रगति के बारे में जानेंगे और कुछ प्रस्ताव पेश करेंगे.
कोलकाता के डॉक्टरों के समूह की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने नोट किया है कि इस बारे में स्पष्टता की कमी है कि अप्राकृतिक मृत्यु कब घोषित की गई, कब जांच की गई और आखिरकार कब एफआईआर दर्ज की गई. जस्टिस ने ये भी उल्लेख किया कि घटनाओं के बाद प्रशासन की भूमिका कुछ ऐसी है जो उन्होंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी है. विज्ञप्ति में कहा गया कि यहां तक कि सीबीआई ने भी संकेत दिया है कि जब उन्होंने पांच दिन बाद मामले को अपने हाथ में लिया, तब तक अपराध स्थल पर महत्वपूर्ण परिवर्तन किए जा चुके थे, जिससे उनकी जांच प्रक्रिया और अधिक कठिन हो गई.
डॉक्टरों ने कहा कि इस सब से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि साक्ष्यों को छिपाने के प्रयास के बारे में हमारा लंबे समय से चल रहा संदेह वास्तव में सही था. डॉक्टरों ने कहा कि जब तक आपराधिक गठजोड़ सक्रिय रहेगा और जब तक इस भयावह घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान नहीं हो जाती और उन्हें दंडित नहीं किया जाता, तब तक आरजी कार में कोई भी डॉक्टर और छात्र सुरक्षित नहीं हैं.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसलिए हम सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि वे उन सभी लोगों की पहचान करें, जांच करें और उन्हें न्याय के दायरे में लाएं जो न्याय पाने के हमारे रास्ते में बाधाएं पैदा कर रहे हैं और जो सभी मेडिकल कॉलेजों में आंदोलनों को नियंत्रित करने और दबाने के लिए भय की राजनीति का उपयोग कर रहे हैं.
उधर, सुप्रीम कोर्ट की ओर से डॉक्टरों से लगातार अनुरोध किया गया कि वे अपनी जिम्मेदारियों को प्राथमिकता दें और मरीज़ों की सेवा में वापस लौटें, जिसके कारण दिल्ली के डॉक्टरों ने हड़ताल वापस लेने का फ़ैसला लिया. कोर्ट ने मेडिकल प्रोफेशनल्स की ओर से उठाई गई चिंताओं को संबोधित करने के महत्व को स्वीकार किया और निर्बाध स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया.
11 दिनों की हड़ताल ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को काफी प्रभावित किया, जिससे कई रोगियों को समय पर चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने में कठिनाई हुई. रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से काम पर वापस लौटने से अस्पतालों पर बोझ कम होने की उम्मीद है, जबकि यह सुनिश्चित होगा कि रोगियों को आवश्यक देखभाल और उपचार मिले.
FAIMA ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को अंतरिम सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में FAIMA की ओर से की गई प्रार्थना पर ध्यान दिया है. SC ने हमारी प्रार्थना को स्वीकार किया और राज्य और उसके पुलिस महानिदेशक को दो सप्ताह की अवधि के भीतर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
एम्स आरडीए ने कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बलात्कार और हत्या की घटना का संज्ञान लेने और देश भर में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के व्यापक मुद्दे को संबोधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के प्रति ईमानदारी से आभार व्यक्त किया. इसने इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स स्थापित करने के न्यायालय के फैसले की प्रशंसा की.
डॉक्टरों ने कहा कि मरीजों की देखभाल उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है और उन्होंने न्यायालय को उसके इस आदेश के लिए धन्यवाद दिया कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. एम्स आरडीए के अध्यक्ष इंद्र शेखर प्रसाद ने कहा कि डॉक्टरों के रूप में उनका प्राथमिक लक्ष्य मरीजों को निर्बाध सेवाएं प्रदान करना है. उन्होंने दावा किया कि रेजिडेंट कभी भी हड़ताल पर नहीं जाना चाहते थे, लेकिन कोलकाता में हुई भयावह घटना ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर कमियों को उजागर किया है, जिससे उन्हें एक स्टैंड लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.