शिवलिंग हटाने का फैसला लिखते ही असिस्टेंट रजिस्ट्रार हुआ बेहोश, जज ने बदला अपना ऑर्डर
कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक बेहद ही चौंका देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक विवादित जमीन से शिवलिंग को हटाए जाने के फैसले को लिखने के दौरान असिस्टेंट रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए
नई दिल्ली: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक बेहद ही चौंका देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक विवादित जमीन से शिवलिंग को हटाए जाने के फैसले को लिखने के दौरान असिस्टेंट रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए. दरअसल हाईकोर्ट के जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने एक केस की सुनवाई के बाद विवादित जमीन से शिवलिंग को हटाने का फैसला सुनाया और फिर इस फैसले को लिखने के दौरान असिस्टेंट रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए. आनन-फानन में उन्हें कोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. असिस्टेंट रजिस्ट्रार के इस हालत के बाद जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने अपने फैसले को बदल दिया.
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार मुर्शिदाबाद के बेलडांगा स्थित खिदिरपुर में जमीन के एक टुकड़े को लेकर दो लोगों में विवाद चल रहा था. इसके बाद कथित दौर पर एक पक्ष ने विवादित जमीन पर शिवलिंग की स्थापना कर दी थी. पुलिस की तरफ से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद एक पक्ष ने इस पूरे मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया था. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया की विवादित जमीन पर जानबूझकर शिवलिंग की स्थापना की गई थी.
ये भी पढ़ें: Parliament Monsoon Session: टमाटर की माला पहनकर राज्यसभा पहुंचे सांसद, सभापति ने जताई आपत्ति
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता के गोविंदा के वकील मृत्युंजय चट्टोपाध्याय ने अदालत को बताया कि विवादित जमीन पर मेरे मुवक्किल ने शिवलिंग की स्थापना नहीं की, बल्कि शिवलिंग जमीन से निकला है. दोनों तरफ की ओर से दी गई दलील को सुनने के बाद जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने अपने फैसले में शिवलिंग को जमीन से हटाने का आदेश दिया. इस फैसले को लिखने के दौरान असिस्टेंट रजिस्ट्रार विश्वनाथ राय अचानक बेहोश होकर गिर पड़े, जिसके बाद जस्टिस ने अपना फैसला यह कहकर बदल दिया कि यह मामला निचली अदालत में सिविल केस के माध्यम से चलाया जाए.
ये भी पढ़ें: Chandrayaan-3 ने इसरो से पूछा, ‘चंद्रमा की कक्षा में हूं, फोटो भेजूं क्या?’