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कोलकाता रेप केस: पीड़िता के लिए इंसाफ मांग रही थीं लॉकेट चटर्जी, खुद कर बैठीं बड़ी गलती, अब पुलिस ने कर लिया तलब

डॉक्टर रेप-मर्डर केस में कोलकाता पुलिस ने दो डॉक्टर और बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी को समन भेजा है. दरअसल इन तीनों पर एक पीड़िता की उजागर करने और गलत जानकारी फैलाने का आरोप है. इन पर जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में गलत सूचना देने का भी आरोप है.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Social Media

आरजी कर अस्पताल मामले में पीड़िता की पहचान उजागर करने और अफवाह फैलाने के आरोप में कोलकाता पुलिस ने डॉक्टर कुणाल सरकार, डॉक्टर सुबर्णा गोस्वामी और बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी को तलब किया है. इन सभी को आज दोपहर 3 बजे लालबाजार बुलाया गया है, कोलकाता पुलिस में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं. एक पीड़िता की पहचान उजागर करने और दूसरा गलत जानकारी फैलाने, जांच और पीएम रिपोर्ट के बारे में गलत सूचना फैलाने के आरोप में दो डॉक्टरों को तलब किया गया है. साथ ही बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी को भी पूछताछ का नोटिस भेजा गया है.

कोलकाता पुलिस ने पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में कथित तौर पर भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में डॉक्टर सुबर्ण गोस्वामी और डॉक्टर कुणाल सरकार को पूछताछ के लिए बुलाया है. हालांकि सुबर्ण गोस्वामी का दावा है कि उन्हें अब तक कोई नोटिस नहीं मिला है. अगर मिलेगा तो वह पूछताछ में शामिल होंगे. वहीं डॉक्टर कुणाल सरकार ने स्वीकार किया है कि उन्हें आज यानी रविवार सुबह कोलकाता पुलिस से नोटिस मिला है. वह कल पुलिस मुख्यालय में पेश होंगे क्योंकि वह आज किसी काम से बाहर हैं.

कोलकाता पुलिस ने लॉकेट चटर्जी को भेजा समन

कोलकाता पुलिस ने बीजेपी पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी को भी पूछताछ के लिए बुलाया है. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पीड़िता की पहचान उजागर की और जांच के बारे में गलत जानकारी साझा की है. उन्हें आज दोपहर 3 बजे तक पेश होने के लिए बुलाया गया है.

क्या है आईपीसी की धारा 228 ए?

दरअसल बलात्कार की शिकार लड़की या उस महिला का नाम प्रकाशित-प्रकाशित करने और उसके नाम को ज्ञात बनाने से संबंधित कोई अन्य मामला आईपीसी की धारा 228 ए के तहत अपराध है. आईपीसी की धारा  धारा 376, 376 ए, 376बी, 376सी, 376 डी, 376 जी के तहत केस की पीड़िता का नाम प्रिंट या पब्लिश करने पर दो साल की जेल और जुर्माना हो सकता है. इस कानून के तहत बलात्कार पीड़िता के निवास, परिजनों, विश्वविद्यालय या उससे जुड़े अन्य विवरण को भी भी उजागर नहीं कर सकता. ऐसे में बलात्कार पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने के लिए कानून में बदलाव की जरूरत है.