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'हमारा धैर्य जवाब दे रहा है, घटना को 14 दिन हो गए', कोलकाता कांड में 'धीमी जांच' पर बिफरे पीड़िता के माता-पिता

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की 31 साल की डॉक्टर के माता-पिता ने अपनी बेटी के रेप और मर्डर की सीबीआई जांच में प्रगति न होने पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने एजेंसी से जांच में तेजी लाने का आग्रह किया, साथ ही प्रशासन से उनकी बेटी के बारे में फर्जी खबरों और अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट से निपटने का अनुरोध किया.

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने बलात्कार और हत्या मामले की जांच में स्पष्ट प्रगति की कमी पर निराशा व्यक्त की है और एजेंसी से जांच में तेजी लाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि अब हमारा धैर्य खत्म हो रहा है. घटना को 14 दिन हो चुके हैं. सीबीआई को और अधिक एक्टिव होना चाहिए. लोगों को सीबीआई पर भरोसा है और हमें भी उन पर भरोसा है. लेकिन वे अब तक मामले को सुलझाने में सक्षम नहीं हैं. उन्हें मामले को तेजी से सुलझाना चाहिए.

पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि अब हर दिन हमारे लिए भारी है. हर बीतता दिन हमें एक साल जैसा लगता है. हमें सीबीआई पर भरोसा है, लेकिन उन्हें अपराधियों को पकड़ना चाहिए, इससे पहले कि हम अपना धैर्य खो दें. 

...नहीं तो सीबीआई को इतना समय नहीं लगता: पीड़िता के पिता

पीड़िता के पिता ने दावा किया कि जांच में देरी का एक कारण ये भी है कि घटनास्थल पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई, नहीं तो सीबीआई ने इतना समय नहीं लिया होता. हालांकि, वे पॉलीग्राफ टेस्ट जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग करके सबूत इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं. हमने सीबीआई से लगभग छह घंटे बात की. हमने उन्हें जो कुछ भी पता है, वह बता दिया है.

पीड़िता के माता-पिता ने शुक्रवार को प्रशासन से गुहार लगाई कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करे और सोशल मीडिया पर उनकी बेटी की फर्जी खबरें, अपमानजनक टिप्पणियां और तस्वीरें प्रसारित होने से रोके. पीड़िता की मां ने कहा कि कृपया उसे किसी के व्यवसाय का साधन न बनाएं. हालांकि, उनमें से कई ने हमारे अनुरोध के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट हटा दी हैं. लेकिन लोगों को समझना चाहिए कि यहां एक जघन्य अपराध शामिल है. उन्होंने कहा कि हम प्रशासन से इन अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं.

आखिर बार बेटी ने बात की थी, तब काफी खुश थी: पीड़िता की मां

पीड़ित की मां, दुखी और आंसुओं से भरी हुई, अपनी बेटी के साथ अपनी आखिरी बातचीत को याद करती है, जो दुखद घटना से कुछ घंटे पहले हुई थी. मां ने बताया कि 8 अगस्त को रात करीब 11.15 बजे जब उसने अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद मुझे आखिरी बार फोन किया, तब भी वह खुश थी. 

मुझे बताया कि उसने और उसके सहकर्मियों ने ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया था और वह पहले ही डिलीवर हो चुका था. वे डिनर शुरू करने वाले थे. लेकिन अन्य दिनों की तरह, उसने फिर से फोन नहीं किया और मुझे लगा कि वह सो गई होगी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी बेटी की बेरहमी से हत्या की जा सकती है.

पूरे देश में छात्रों और अन्य प्रदर्शनकारियों के बीच आक्रोश को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन को उनकी भावनाओं को भी समझना होगा. उनमें से कोई भी अपने कर्तव्यों की उपेक्षा नहीं करना चाहता. वे अस्पताल के अंदर सक्रिय विभिन्न रैकेट के भी खिलाफ हैं. हम छात्रों के साथ हैं और जरूरत पड़ने पर उनके आंदोलन में शामिल होंगे. हमें अपनी बेटी के लिए न्याय चाहिए.