Republic Day 2024: क्यों हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है गणतंत्र दिवस? जानें इतिहास और महत्व
Republic Day 2024: अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होने के लिए भारत के हजारों-लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया था, जिसकी बदौलत हम 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. हम एक बार फिर से गणतंत्र दिवस मनाने के लिए तैयार है. आइए जानते हैं कि आखिर गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है.
Republic Day 2024: हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. ये दिन हर भारतीय के लिए बहुत ही खास होता है. इतिहास के पन्नों में इसके पीछे की दर्ज कहानी बहुत ही रोमांचक है. अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होने के लिए भारत के हजारों-लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया था, जिसकी बदौलत हम 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. हम एक बार फिर से गणतंत्र दिवस मनाने के लिए तैयार है. आइए जानते हैं कि आखिर गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है.
क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस? (Why is Republic Day celebrated?)
26 जनवरी 1950 को देश गणतंत्र बना था. 26 जनवरी 1949 को देश की संविधान सभा ने संविधान को स्वीकार किया था. और 26 जनवरी 2950 को संविधान को पूरे देश में लागू किया गया था. यही वजह है कि हर साल देश में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान का लागू होना जरूरी था. इसलिए देश का संविधान बनाया गया था. भारत का संविधान 2 साल 11 महीना और 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था.
इसलिए चुनी गई 26 जनवरी की तारीख?
अब दूसरा सवाल ये है कि आखिर संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी की तारीख ही क्यों चुनी गई? दरअसल, 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का नारा दिया गया था. कांग्रेस की ओर से दिए गए पूर्ण आजादी के नारे की याद में संविधान को लागू करने की तारीख 26 जनवरी रखी गई. 19 दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू को कांग्रेस ने अपना नया अध्यक्ष चुना था. और इस अधिवेशन में फैसला किया गया था कि जनवरी के आखिरी रविवार को भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. इसीलिए 26 जनवरी का दिन बेहद खास है.
भारत का संविधान अपने आप में सबसे अनोखा संविधान है. यहू पूरे विश्व में सबसे लंबा लिखित संविधान है. हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान को बनाने में यूनाइटेड किंगडम, यूएसए, जर्मनी, आयरलैंड, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के संविधान का सहारा लिया. यानी संविधान को नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए न ज्यादा लचीला और न ही ज्यादा कठोर बनाया गया था.