जिसने बनाई रामलला की मूर्ति, उसे वीजा देने से इनकार, अमेरिका ने ऐसा क्यों किया?
Arun Yogiraj: भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज को अमेरिका ने वीजा देने से इंकार कर दिया है. अमेरिका ने ये कदम क्यों उठाया इसके पीछे कोई कारण भी नहीं दिया गया है. अयोध्या के राम मंदिर में विराजमान रामलला की मूर्ती अरुण योगीराज ने ही बनाई थी.
Arun Yogiraj: अयोध्या में इसी साल 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. मंदिर में भगवान की जो मूर्ति विराजमान है उसे प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया था. प्रभु श्रीराम की इतनी सुंदर प्रतिमा बनाने के लिए उनकी खूब तारीफ हुई थी. वह इस समय चर्चा में बने हैं. दरअसल, अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से मना कर दिया है. अरुण योगीराज को वर्जीनिया में तीन दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए जाना है लेकिन अमेरिक ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया गया है. अरुण योगीराज को 30 अगस्त से 1 सितंबर तक होने वाले 12वें AKKA विश्व कन्नड़ सम्मेलन में भाग लेने के लिए निमंत्रित किया गया था.
अरुण योगीराज के परिवार के अनुसार, यात्रा का एकमात्र उद्देश्य सम्मेलन में भाग लेना था और कार्यक्रम समाप्त होने के तुरंत बाद भारत लौटने का इरादा था. वीजा न मिलने को लेकर अरुण योगीराज ने एक प्राइवेट न्यूज चैनल से बात करते हुए अपनी बात रखी है.
"मुझे भी नहीं पता क्यों रद्द किया मेरा वीजा"
न्यूज चैनल रिपब्लिक को अरुण योगीराज ने बताया कि पता नहीं उन्होंने मुझे वीजा क्यों नहीं दिया. वीजा के लिए जो भी जरूरी कागजात थे मैंने उन्हें सब दिया. अपनी बैंक बैलेंस से लेकर इनकम टैक्स डिटेल सबकुछ मैंने दिया. शायद उनके रूल और रेगुलेशन कुछ और रहेंगे. हालांकि, वीजा के लिए जो भी डॉक्यूमेंट चाहिए थे मैंने वो सभी डॉक्यूमेंट दिए थे.
उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं पता अब क्या होगा. शायद इस मामले में केंद्र सरकार भी कुछ न कर पाए. मुझे नहीं पता कि आखिर मेरा वीजा किस लिए कैंसिल किया गया.
अरुण योगीराज को जो निमंत्रण पत्र मिला था उसमें लिखा था- "मूर्तिकला के क्षेत्र में आपके उल्लेखनीय योगदान ने हमारा ध्यान खींचा है, और हमें विश्वास है कि आपकी कलात्मक दृष्टि हमारे सम्मेलन को बहुत समृद्ध करेगी. आपका काम रचनात्मकता और नवीनता की भावना को दर्शाता है, ऐसे गुण जो हमारे आयोजन के उद्देश्यों के साथ पूरी तरह से मेल खाते हैं."
कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ थामा था मूर्तिकला का हाथ
अरुण योगीराज मूर्तिकला की दुनिया में छोटी उम्र में ही बड़ा नाम बना चुके हैं. उनके पिता और दादा भी प्रसिद्ध मूर्तिकार थे. कॉर्पोरेट क्षेत्र में थोड़े समय तक काम करने के बाद, अरुण 2008 में मूर्तिकला की दुनिया में एंट्री मारते हैं.
राम लला की मूर्ति के अलावा, उनके उल्लेखनीय कार्यों में इंडिया गेट के पास सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति, केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट की मूर्ति और मैसूर में 21 फीट की हनुमान मूर्ति शामिल है.