नई दिल्ली: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारागे पाटिल के आमरण अनशन समाप्त करने के कुछ घंटों बाद राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुलाकात की है. सीएम शिंदे ने मुलाकात के दौरान उन्हें यह आश्वासन दिया कि आरक्षण के लिए समाधान पर काम किया जा रहा है. मराठा कार्यकर्ता मनोज जारागे अपना विरोध वापस लेने पर सहमत हो गए है. उन्होंने राज्य सरकार को मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के वादे को पूरा करने के लिए दो महीने का समय दिया है.
जारांगे पाटिल के साथ बैठक के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, "स्थिति को हल करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के लिए विरोध स्थल पर जाना इतिहास में पहली घटना हो सकती है. मनोज जारांगे पाटिल ने जनवरी तक दो महीने की समय सीमा दिया है. सरकार न्यायिक रूप से टिकाऊ और कानूनी रूप से व्यवहार्य समाधान प्रदान करने के लिए गंभीरता से कदम उठाएगी जो मराठा समुदाय के लिए अदालतों की जांच में खरा उतर सकें''
सीएम शिंदे ने अपने बयान में आगे कहा “अब तक, 13,514 रिकॉर्ड पाए गए हैं, जो महत्वपूर्ण है. न्यायमूर्ति शिंदे समिति ने दिन-रात काम किया है. समिति ने विस्तार मांगा है. जिसे मैंने मनोज जारांगे-पाटिल को बता दिया है. उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने फैसला किया था कि इस मुद्दे को चर्चा और बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए”
CM शिंदे ने आगे कहा "न्यायमूर्ति मारोती गायकवाड़, न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे, अधिवक्ता हिमांशु सचदेव और अन्य लोग उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जो मनोज जारांगे पाटिल से मिले थे. विधायक संदीपन भुमारे, धनंजय मुंडे, अतुल सावे, उदय सामंत, बच्चू कडु और नारायण राणे ने भी उपवास विरोध को हल करने के लिए मनोज जारांगे पाटिल से बात की है.जस्टिस शिंदे समिति को मजबूत किया जाएगा. जनशक्ति प्रदान की जाएगी. प्रणाली का विस्तार किया जाएगा. कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के कार्यान्वयन में तेजी लाई जाएगी. एक सरकार के रूप में हम न केवल मराठों को बल्कि किसी भी समुदाय को धोखा नहीं देंगे. अन्य समुदायों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."
CM शिंदे ने अपने बयान में आगे कहा "हम सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन पर भी काम कर रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से गठित न्यायाधीशों की समिति सुप्रीम कोर्ट की ओर से दर्ज की गई टिप्पणियों के आधार पर सरकार और आयोग का मार्गदर्शन कर रही है. पिछड़ा वर्ग क्लास कमीशन यह आकलन करने का काम करेगा कि मराठा समुदाय कितना पिछड़ा है. सरकार मराठा समुदाय को टिकाऊ आरक्षण प्रदान करने के लिए बहुत गंभीरता से काम करेगी''
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने बीते मंगलवार को शिंदे समिति की ओर से पेश की गयी पहली रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया तय करने के लिए एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया है. जिसके बाद मराठा समुदाय के पात्र सदस्यों को नया कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया गया. इस तरह सरकार ने मराठा समुदाय के सदस्यों के लिए ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ उठाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है. वहीं न्यायमूर्ति शिंदे समिति ने मराठा आरक्षण के संबंध में जिलेवार रिकॉर्ड की समीक्षा की. समिति ने संबंधित 8 जिला कलेक्टरों को मराठवाड़ा के सभी जिलों के लिए एक एकल नमूना तैयार करने और रिकॉर्ड का निरीक्षण कर जांचे गए रिकॉर्ड के संबंध में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. जस्टिस शिंदे कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 30 अक्टूबर तक लगभग 1,74,45,432 रिकॉर्ड्स की जांच की जा चुकी है.
मराठा आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जारांगे पाटिल मराठा आरक्षण कार्यकर्ता हैं. मनोज जारांगे पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले हैं. रोजी-रोटी और जीवन के गुजर बसर के लिए एक होटल में काम करने के लिए वह जालना के अंबाद में रहने लगे थे. बतौर कांग्रेस कार्यकर्ता उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की. आगे चसकर मराठा समुदाय के सशक्तिकरण के उन्होंने शिवबा संगठन नामक खुद की संस्था बना ली. मराठा समुदाय के आरक्षण के प्रबल समर्थक पाटिल अक्सर उन प्रतिनिधिमंडलों के हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने आरक्षण की मांग के लिए राज्य के विभिन्न नेताओं से मुलाकात की है.
साल 2014 में आरक्षण की मांग को लेकर शिवबा संगठन ने छत्रपति संभाजीनगर में कलेक्टर कार्यालय पर विशाल मार्च निकाला था. 2016 में मनोज जारांगे पाटिल ने बीड जिले के नाग नारायण किले में 500 फीट का भगवा झंडा लगाया था. 2021 में मनोज जारांगे पाटिल ने मराठा आंदोलन के शहीदों के उत्तराधिकारियों को सरकारी सहायता दिलाने के लिए गोरीगंधरी में विरोध प्रदर्शन किया. इसमें वह सफल रहे. कुछ दिन पहले उन्होंने आरक्षण की मांग को लेकर पैठण फाटा में विरोध मार्च निकाला था और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दिया था. राज्य सरकार की ओर से आरक्षण के समाधान का आश्वासन मिलने के बाद मनोज जारागे पाटिल ने अनशन तोड़ा. जारांगे ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यह सिर्फ दो महीने की छूट है. अगर तय समय में महाराष्ट्र सरकार इस बारे में सटीक निर्णय नहीं ले पाती तो फिर से हम सड़क पर उतरेंगे.
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