जानें कौन है राम मंदिर निर्माण के अहम किरदार चंपत राय, क्यों कहां जाता है इन्हें भगवान रामलला का पटवारी?
रामजन्मभूमि अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण की योजना-रचना तैयार करने वाले चंपत राय का जन्म 18 नवंबर 1946 को यूपी के बिजनौर जिले की नगीना तहसील में रामेश्वर प्रसाद बंसल और सावित्री देवी के घर पर हुआ था.
नई दिल्ली: रामलला प्राण प्रतिष्ठा की शुभ धड़ी नजदीक आने के साथ देश उत्सवधर्मी होता जा रहा है. राम मंदिर निर्माण के पीछे जिस रामभक्त और राष्ट्रभक्त का अहम योगदान है. उनका नाम चंपत राय है. चंपत राय वर्तमान समय में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव है. इन्हें भगवान रामलला का पटवारी भी कहा जाता है. रामजन्मभूमि अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण की योजना-रचना तैयार करने वाले चंपत राय का जन्म 18 नवंबर 1946 को यूपी के बिजनौर जिले की नगीना तहसील में रामेश्वर प्रसाद बंसल और सावित्री देवी के घर पर हुआ था. बचपन में RSS से जुड़ाव की वजह से उनका झुकाव हिंदुत्व की तरफ हुआ. उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद चंपत राय धामपुर के आश्रम में डिग्री कॉलेज में केमिस्ट्री के प्रोफेसर बन गए और नौकरी करने लगे.
जानें कौन है जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय?
जब देश में इमरजेंसी लगा तो पुलिस ने चंपत राय को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. करीब 18 महीने तक यूपी के अलग-अलग जिलों में रहने के दौरान उन्होंने अपने व्यक्तित्व को गढ़ने का काम किया. आपातकाल खत्म होने के बाद जब उन्हें जेल से रिहा किया गया तो उन्होंने वापस घर लौटने के बजाय आजीवन संघ का प्रचारक बनने का फैसला किया. पूर्णकालिक प्रचारक बनने का फैसला करने के बाद साल 1980-81 में चंपत राय को जिला देहरादून, सहारनपुर में प्रचारक बनाया गया. उसके बाद साल 1985 में मेरठ के विभाग प्रचारक रहे. साल 1986 में संघ ने उनकी योजना बनाकर विश्व हिंदू परिषद का प्रांत संगठन मंत्री बनाया गया. इसके बाद 1991 में क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाकर अयोध्या भेजा गया. 1996 में विहिप के केंद्रीय मंत्री बने. साल 2002 में संयुक्त महामंत्री और फिर अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए. इस समय चंपत राय विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव हैं.
जानें क्यों कहा जाता है चंपत राय को भगवान रामलला का पटवारी?
चंपत राय सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई में भी मुख्य पैरोकार और पक्षकार रहे. कई दशकों तक उनका जीवन कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते गुजरा. वकीलों को मंदिर आंदोलन से जुड़े साक्ष्य उपलब्ध कराना, सुप्रीम कोर्ट जाना और सुनवाई के दौरान धैर्यपूर्वक बैठे रहना लंबे समय तक उनके जीवन के दिनचर्या का हिस्सा रहा. जिस कक्ष में वो रहते है. वो कक्ष श्री रामजन्मभूमि केस की फाइलों और साक्ष्यों से पटा पड़ा है. 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ, तबसे चंपत राय मंदिर निर्माण की अहम जिम्मेदारीयों को निभा रहे है. रामलला प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान से जुड़ी हर गतिविधियों की पूरी योजना उन्हीं की देखरेख में की जा रही है. यही वजह है कि रामभक्त चंपत राय को लोग प्यार से भगवान रामलला का पटवारी कहकर पुकारते हैं.