Women Reservation Bill: महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला नारी शक्ति वंदन दोनों विधेयक सदनों से पास हो गया है. राज्यसभा और लोकसभा में लंबी चर्चा के दौरान इस बिल के समर्थन में तमाम सियासी दलों के नेताओं ने अपनी पार्टी का मजबूती से पक्ष रखा. तमाम राजनीतिक पार्टियों महिला आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए आरक्षण में आरक्षण की मांग की. कांग्रेस समेत तमाम दलों के नेताओं ने ओबीसी के लिए अलग आरक्षण देने की मांग की है.
बीते दिनों लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि ''हम महिला आरक्षण बिल को समर्थन है. ये महिलाओं के लिए बहुत जरूरी कदम है. महिलाओं ने देश की आजादी के लिए भी लड़ाई लड़ी है. ये लोग हमारे बराबर है और कई मामलों में हमारे से आगे भी है, लेकिन मेरे विचार से यह विधेयक अधूरा है. इसमें ओबीसी आरक्षण को जोड़ा जाना चाहिए"
देश की सियासत में ओबीसी की राजनीति हमेशा से केंद्र बिंदु में रहा है. सरकार ने महिला आरक्षण को लागू करने से पहले परिसीमन और जनगणना कराने की बात कही है. ऐसे में विपक्षी दलों की ओर से जातिवार जनगणना कराकर महिला आरक्षण में ओबीसी समाज की महिलाओं को हिस्सेदारी देने की मांग जोर-शोर से उठाई जा रही है. देश में आखिरी बार जातिवार जनगणना की गिनती 1931 में हुई थी. तब देश में 52% आबादी OBC थी. इसके बाद से इसकी गिनती नहीं हुई. अगर हुई भी तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया.
विपक्ष सामाजिक न्याय के नाम पर साल 2024 के चुनावों में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर BJP पर दबाव बनाने और पिछड़े वोट को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में जुटा हुआ हैं. विपक्ष जानता है कि देश में जातीय जनगणना होती है तो असली आंकड़ा सामने आएगा. इसके बाद पिछड़ी जातियों को मिलने वाले 27% आरक्षण को उनकी आबादी के हिसाब से बढ़ाने की मांग भी तेज होगी. जिससे देश में ओबोसी की सियासत तेज होगी.
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