Who Is Swami Avimukteshwaranand: अयोध्या (Ayodhya) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जहां एक तरफ उत्साह का माहौल है तो वहीं संत समाज के एक धड़े की तरफ से आपत्ति भी सामने आई है. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आपत्ति जताने वाले उत्तराखंड ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हैं. उन्होंने अधूरे या निर्माणाधीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा किए जाने का विरोध किया है. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) हैं कौन.
सितंबर 2022 में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन होने के बाद पर समाधि से पहले उत्तराधिकारियों का चयन कर लिया गया था. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ का प्रमुख बनाया गया. इसका विरोध भी हुआ और स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की तरफ से कहा गया कि अविमुक्तेश्वरानंद किसी भी सूरत में ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नहीं है, इनको संन्यास का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक लगने के बाद अविमुक्तेश्वरानंद ने पट्टाभिषेक करवाया और अब अपने आप को शंकराचार्य लिख रहे हैं जो सरासर गलत है.
प्रतापगढ़ के ब्राह्मणपुर गांव में 15 अगस्त 1969 को जन्मे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का नाम उमाशंकर पांडेय था. कक्षा 6 तक की पढ़ाई गांव में ही करने के बाद उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए बाहर भेज दिया गया. एक बार उनके पिता उन्हें गुजरात ले गए, वहां पर काशी के संत रामचैतन्य से उनकी मुलाकात हुई. पिता ने बेटे को वहीं छोड़ दिया. इसके बाद उमाशंकर यहीं रहकर पूजा-पाठ और पढ़ाई में रम गए.
गुजरात में रहकर अगले कुछ साल तक पढ़ाई करने के बाद उमाशंकर फिर वाराणसी पहुंचे. यहां पर उनकी मुलाकात स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से हुई, इसके बाद उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से पढ़ाई की. साल 2000 में उन्होंने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से दीक्षा ली और उनके शिष्य बन गए. इसके बाद उमाशंकर पांडे से वो दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बन गए.