'भारत मेरी बेटी को न्याय दिलाएगा...' KIIT छात्रा के पिता ने लगाई गुहार
भुवनेश्वर के KIIT कॉलेज में पढ़ रही प्रकृति लमसाल की मौत के बाद हर कोई सदमें में है. प्रकृति की मौत के बाद, उनके पिता सुनील लमसाल न्याय की उम्मीद में जवाब तलाश कर रहे हैं. उन्होंने कहा मुझे विश्वास है कि भारत सरकार मेरी बेटी को न्याय दिलाएगी.
KIIT Student Death: भुवनेश्वर के एक कोने में हॉसल का एक कमरा अब खाली पड़ा है. एक समय यह कमरा प्रकृति लमसाल की दुनिया था, लेकिन अब वहां उसके अस्तित्व का कोई निशान नहीं बचा. ओडिशा में छात्र विरोध कर रहे हैं, काठमांडू में नेपाली छात्र समुदाय जागरूकता फैला रहे हैं, और सरकारी कार्यालयों में इस बारे में चर्चा जारी है.
प्रकृति की मौत के बाद, उनके पिता सुनील लमसाल न्याय की उम्मीद में जवाब तलाश कर रहे हैं. नेपाल के काठमांडू से उन्होंने कहा, 'भारत और नेपाल का रोटी-बेटी का रिश्ता प्राचीन काल से चला आ रहा है. मुझे विश्वास है कि भारत सरकार मेरी बेटी को न्याय दिलाएगी.'
बेटी की मौत पर छलका पिता का दर्द
प्रकृति कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT)में तीसरे साल की कंप्यूटर साइंस छात्रा थीं. वह नेपाल से भारत अपने भविष्य को संवार ने के लिए आई थीं. उनके दो चचेरे भाई अनुरोध और सिद्धांत भी KIIT में पढ़ते थे.
बता दें की प्रकृति ने दो बार उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने सिर्फ काउंसलिंग करवाने तक ही कदम उठाए. परिवार को कभी इसकी सूचना नहीं दी गई. इसी बारे में प्रकृति के पिता ने कहा, 'अगर सख्त कार्रवाई होती, तो मेरी बेटी आज जीवित होती,'
मौत से पहले आखिरी कॉल
16 फरवरी को, अपनी मौत से ठीक दो घंटे पहले, प्रकृति ने अपनी मां से फोन पर बात की थी. उस कॉल में किसी भी परेशानी का संकेत नहीं था. लेकिन कुछ घंटों बाद, परिवार को दिल दहला देने वाली खबर मिली की उनकी बेटी नहीं रही.
प्रकृति की मौत के बाद 1,500 से अधिक नेपाली छात्रोंने KIIT में विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद, 500 से ज्यादा छात्रों को हॉसटल खाली करने का निर्देश दिया गया.
नेपाल सरकार ने की न्याय की मांग
नेपाल सरकार ने तुरंत इस मुद्दे को संज्ञान में लिया. प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओलीने पीड़ित परिवार से बात की और आश्वासन दिया कि नेपाल सरकार इस मामले पर नजर रखे हुए है. नेपाल के विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबाने ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझीसे संपर्क कर जांच और जवाबदेहीकी मांग की.
नेपाल के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोगने भी भारतीय अधिकारियों से अनुरोध किया कि यह मामला सिर्फ़ एक और फाइल बनकर न रह जाए.
प्रकृति के पिता का कहना है कि, 'कई नेपाली बच्चे भारत में पढ़ रहे हैं. हम नहीं चाहते कि ऐसी घटनाएं दोबारा हों. हमारी सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द कोई कदम उठाना चाहिए.'
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