Kerala High Court: केरल हाई कोर्ट ने एनवायरनमेंट के लिए चिंता जताते हुए कहा है कि राज्य में शादी के रिसेप्शन में प्लास्टिक की पानी की बोतलों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि छोटी प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा रही हैं और यह भी कहा कि सरकारी कार्यक्रमों में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
प्लास्टिक को खत्म करने के लिए सख्त कदम: अदालत ने कहा कि एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है. अदालत ने यह भी पूछा कि प्लास्टिक की पानी की बोतलों पर रोक को असल में कैसे लागू किया जा सकता है? अदालत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही थी.
सरकार ने अदालत को बताया कि पहाड़ी इलाकों में प्लास्टिक पर रोक लगाने का प्रस्ताव अंडर ट्रायल है. सरकार ने यह भी कहा कि 100 से ज्यादा लोगों वाले कार्यक्रमों में प्लास्टिक का इस्तेमाल करने के लिए लाइसेंस लेना होगा. यह लाइसेंस स्थानीय सरकारी संस्थाएं जारी करती हैं. डिपार्टमेंट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के स्पेशल सेक्रेटरी ने कहा कि शादी के रिसेप्शन में आधा लीटर की पानी की बोतलों के इस्तेमाल पर रोक है.
केरल हाई कोर्ट ने रेलवे की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि रेलवे ट्रैक को साफ रखना उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है. अदालत ने रेलवे को सार्वजनिक स्वास्थ्य और कानूनी व्यवस्था के प्रति अपनी जवाबदेही को समझने की एडवाइस दी है. अदालत ने स्पष्ट रूप से रेलवे को ट्रैक से समस्त कचरा तत्काल हटाने का आदेश दिया है, ताकि पर्यावरण और जन सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.
अदालत ने रेलवे से यह भी कहा है कि उसे अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेते हुए पटरियों को कचरे से मुक्त रखना चाहिए, जिससे स्वच्छता और सुरक्षा का स्तर बना रहे. अदालत ने रेलवे को यह भी याद दिलाया कि सार्वजनिक स्थानों की सफाई और रखरखाव में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है और उसे इस दिशा में एक्टिव कदम उठाने चाहिए.