नई दिल्ली: केरल विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया. बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार की पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लागू करने की योजना है, जिसका कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं.
'एकतरफा और जल्दबाजी में उठाया गया कदम'
केरल के सीएम पिनाराई विजयन द्वारा पेश किये गए प्रस्ताव में कहा गया है कि केरल विधानसभा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के केंद्र के कदम पर निराशा और चिंता व्यक्त की है. इस सदन की यह राय है कि केंद्र सरकार द्वारा एकतरफा और जल्दबाजी में उठाया गया यह कदम संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को खत्म कर देगा.
आम सहमति से लागू किया जाए यूसीसी
विधानसभा ने सामूहिक रूप से केंद्र सरकार से मांग की कि जब तक विभिन्न धार्मिक समूहों के साथ चर्चा क के बाद हमारे लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा के बाद आम सहमति नहीं बन जाती तब तक इसे लागू न किया जाए.
विपक्ष ने भी किया सरकार का समर्थन
वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिव फ्रंट (UDF) ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार का इस प्रस्ताव पर समर्थन करते हुए यूसीसी में कुछ संशोधनों और समायोजनों की भी पेशकश की.
इससे पहले केरल विधानसभा यूसीसी के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाली देश की पहली विधानसभा थी. दिसंबर 2019 में केरल विधानसभा ने यूसीसी के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया था.
क्या कहता है प्रस्ताव
आज जो प्रस्ताव पास किया गया है वह कहता है कि यूसीसी केवल संविधान के नीति निदेशक तत्वों को संदर्भित करता है और इसको लागू करना जरूरी नहीं है. नीत निदेशक तत्वों को लागू करना जरूरी नहीं है.
मौलिक अधिकारों को लागू करना जरूरी नहीं
इसमें कहा गया है कि कोर्ट मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए कह सकता है, लेकिन अनुच्छेद 44 के नीति निदेशक तत्वों को न्यायालयों द्वारा भी लागू नहीं किया जा सकता है. हमें यह सोचने की जरूरत है कि संविधान के निर्माताओं ने इस नतीजे पर पहुंचने से पहले कितना विचार किया था. इसमें आगे कहा गया है कि डॉ. भीमराम अंबेडकर ने यूसीसी की वकालत की थी लेकिन इसके लिए कभी दबाव नहीं डाला.
विधि आयोग ने मांगे थे यूसीसी पर सुझाव
बता दें कि विधि आयोग ने 28 जुलाई तक सभी इच्छुक व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों पर यूसीसी को लेकर सुझाव मांगे थे. यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता पर बल देते हुए भोपाल में एक मीटिंग के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि कोई भी देश दो कानूनों के साथ नहीं चल सकता.
संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए. बता दें कि यूसीसी विवाह, विरासत, बच्चा गोद लेने और अन्य मामलों में देश के सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून की वकालत करता है.
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