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India Daily

'केजरीवाल को गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा देना चाहिए था', प्रशांत किशोर ने बता दिया हार का कारण

जन सुराज पार्टी के प्रमुख और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि दिल्ली में आप की बड़ी हार का पहला कारण 10 साल की सत्ता विरोधी लहर थी. दूसरा और शायद आप की बड़ी गलती अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा था. शराब नीति मामले में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें पद छोड़ देना चाहिए था.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Prashant Kishor
Courtesy: Social Media

जन सुराज पार्टी के प्रमुख और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि शराब नीति मामले में जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना एक बड़ी भूल थी, जिसकी पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी. एक टीवी चैनल से बात करते हुए , प्रशांत किशोर ने कहा कि हाल के वर्षों में केजरीवाल के बदलते राजनीतिक रुख  जैसे कि इंडिया ब्लॉक में शामिल होने का उनका फैसला, लेकिन दिल्ली चुनाव अकेले लड़ने का फैसला - ने आप के खराब प्रदर्शन में योगदान दिया.

चुनाव रणनीतिकार ने कहा कि दिल्ली में आप की बड़ी हार का पहला कारण 10 साल की सत्ता विरोधी लहर थी. दूसरा और शायद आप की बड़ी गलती अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा था. शराब नीति मामले में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें पद छोड़ देना चाहिए था. हालांकि, जमानत मिलने के बाद इस्तीफा देना और चुनाव से पहले किसी और को मुख्यमंत्री बनाना एक बड़ी रणनीतिक गलती साबित हुई.

बीजेपी का वनवास खत्म

दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 48 सीटें जीतकर भाजपा ने 27 साल के वनवास के बाद सत्ता में वापसी की है. इस बीच, आप ने 2020 में 62 और 2015 में 67 विधानसभा सीटें जीती थीं, लेकिन उसकी सीटें गिरकर 22 रह गईं . कांग्रेस लगातार तीसरी बार राजधानी में एक भी सीट नहीं जीत पाई.

किशोर ने केजरीवाल के असंगत राजनीतिक निर्णयों को भी मतदाताओं के मोहभंग का एक प्रमुख कारण बताया. "उनके अस्थिर रुख - पहले इंडिया ब्लॉक के साथ जुड़ना और फिर उससे अलग हो जाना ने उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया. उन्होंने कहा, लोगों, विशेषकर झुग्गियों में रहने वाले लोगों को झेलनी पड़ रही कठिनाइयों ने प्रशासन की खामियों को उजागर किया है और केजरीवाल के शासन मॉडल को काफी कमजोर किया है.

आप के लिए मुश्किलें

किशोर ने कहा, स्थिति के दो पहलू हैं. हालांकि आप के लिए दिल्ली में राजनीतिक प्रभुत्व हासिल करना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन केजरीवाल अब शासन संबंधी जिम्मेदारियों से मुक्त हैं. वह इस समय का लाभ गुजरात जैसे अन्य राज्यों में पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए उठा सकते हैं, जहां आप ने पिछले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था.