उत्तराखंड में बीजेपी ने बद्रीनाथ-मंगलौर उपचुनाव में मिली हार को भुलाते हुए केदारनाथ उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है. बीजेपी की आशा नौटियाल ने कांग्रेस के मनोज रावत को रूद्रप्रयाग जिले की केदारनाथ सीट पर हुए उपचुनाव में हरा दिया है. कांग्रेस के लिए तगड़ा झटका इसलिए है क्योंकि उसकी हार में निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन चौहान का बहुत बड़ा हाथ रहा. उन्हें कुल 9311 वोट मिले. अगर कांग्रेस के हार की अंतर की बात करें तो बीजेपी की आशा नौटियाल ने ने मनोज रावत को 5622 वोटों से हराया.
बीजेपी की आशा नौटियाल को 23814 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के मनोज रावत को 18192 वोट मिले. नोटा को भी करीब 936 वोट मिले. दरअसल सीएम धामी और बीजेपी ने बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव हार के बाद सबक लिया और बहुत ही धारधार रणनीति के साथ ये चुनाव लड़ा.
उत्तराखंड की राजनीति में पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार पवन लालचंद ने इंडिया डेली लाइव से बातचीत में कहा कि दिल्ली के बुराड़ी में केदार मंदिर विवाद को सीएम धामी ने समय रहते सुलझा लिया. इससे तीर्थ पुरोहितों में बीजेपी के प्रति भरोसा जगा.
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में देवतुल्य जनता द्वारा भारतीय जनता पार्टी को दिया गया जनादेश न केवल डबल इंजन सरकार के अभूतपूर्व विकास कार्यों पर जनता के अटूट विश्वास की मुहर है अपितु यह बाबा केदार की पावन भूमि पर झूठ और भ्रामक राजनीति करने वालों को करारा जवाब भी है।#Kedarnath pic.twitter.com/J8NZ2ieTCp
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 23, 2024
केदारनाथ के लिए घोषणाओं की झड़ी
आचार संहिता लागू होने से पहले सीएम धामी ने केदारनाथ के लिए बड़ी घोषणाओं का ऐलान किया. इसके अलावा बीजेपी ने इस बार पार्टी कैडर के नेता को टिकट दिया. बद्रीनाथ में बीजेपी ने कांग्रेस के बागी नेता राजेंद्र भंडारी को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी. बीजेपी ने इस बार
कोई जोखिम नहीं लिया. पार्टी ने बागी दिखते कुलदीप रावत और शैला रंज रावत की बेटी ऐश्वर्या को समय रहते मना लिया. इससे पार्टी के अंदर कोई गुटबाजी नहीं नजर आई.
गणेश गोदियाल के अलावा बाकी कांग्रेस नेता मित्र विपक्ष की भूमिका में दिखे
कांग्रेस की तरफ पूरे चुनाव में गणेश गोदियाल ही पूरी ताकत से चुनाव लड़े. गोदियाल को छोड़कर ज्यादततर कांग्रेस के दिग्गजों का मित्र विपक्ष की भूमिका में रहना बीजेपी के लिए खासा फायदेमंद हुआ. प्रदेश में निकाय चुनाव किसी भी समय हो सकते हैं. ऐसे में ये हार कांग्रेस की समस्याओं को निश्चित तौर पर बढ़ाएगी. वहीं ये जीत सीएम धामी का कद और बढ़ाएगी. अयोध्या लोकसभा चुनाव और फिर बद्रीनाथ उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी के लिए केदारनाथ उपचुनाव साख का सवाल था. पीएम मोदी का केदारनाथ से जुड़ाव जगजाहिर है. ऐसे में बीजेपी ने इस बार यहां से जीतने के लिए हर कमजोर पक्ष पर काम किया, जिसका फायदा हुआ.