Katchatheevu Island Row: कच्चाथीवू द्वीप विवाद पर विदेश मंत्री जयशंकर की टिप्पणी पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि जैसे को तैसा पुरानी बात है. ट्वीट के बदले ट्वीट नया हथियार है.
पी. चिदंबरम ने सवाल करते हुए कहा कि क्या विदेश मंत्री श्री जयशंकर कृपया दिनांक 27-1-2015 के आरटीआई का संदर्भ लेंगे. मेरा मानना है कि श्री जयशंकर 27-1-2015 को विदेश सचिव थे. उत्तर ने उन परिस्थितियों को उचित ठहराया जिनके तहत भारत ने स्वीकार किया कि एक छोटा द्वीप श्रीलंका का है.
Tit for tat is old. Tweet for Tweet is the new weapon.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 1, 2024
Will Foreign Minister Mr. Jaishankar please refer to the RTI reply dated 27-1-2015.
I believe that Mr Jaishankar was the Foreign Secretary on 27-1-2015.
The Reply justified the circumstances under which India…
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने जयशंकर पर हमला बोलते हुए अपने पोस्ट में आगे लिखा कि विदेश मंत्री और उनका मंत्रालय अब कलाबाजी क्यों कर रहे हैं? लोग कितनी जल्दी रंग बदल लेते हैं. एक सौम्य उदार विदेश सेवा अधिकारी से लेकर एक चतुर विदेश सचिव और RSS-BJP के मुखपत्र तक, श्री जयशंकर का जीवन और समय कलाबाजी के इतिहास में दर्ज किया जाएगा.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी दावा किया था कि कांग्रेस के शासनकाल में प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवू द्वीप को लेकर उदासीनता दिखाई और इसके विपरीत कानूनी विचारों के बावजूद भारतीय मछुआरों के अधिकारों को छोड़ दिया था. जयशंकर के इस दावे पर भी चिदंबरम ने प्रतिक्रिया दी है. चिदंबरम ने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि यह सच है कि पिछले 50 वर्षों में मछुआरों को हिरासत में लिया गया है. इसी तरह, भारत ने कई मछुआरों को हिरासत में लिया है. हर सरकार ने श्रीलंका से बातचीत की है और हमारे मछुआरों को मुक्त कराया है. ऐसा तब हुआ है जब जयशंकर विदेश सेवा के अधिकारी थे और जब वह विदेश सचिव थे और जब वह विदेश मंत्री हैं.
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सवाल करते हुए आगे लिखा कि जयशंकर द्वारा कांग्रेस और द्रमुक के खिलाफ तीखा हमला बोलने से क्या बदलाव आया है?. जब श्री वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और भाजपा सत्ता में थी और तमिलनाडु के विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन में थी, तो क्या श्रीलंका ने मछुआरों को हिरासत में नहीं लिया था? जब श्री मोदी 2014 से सत्ता में थे तो क्या श्रीलंका ने मछुआरों को हिरासत में नहीं लिया था?
It is true that Fishermen were detained in the last 50 years. Likewise, India has detained many SL fishermen
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 1, 2024
Every government has negotiated with Sri Lanka and freed our fishermen
This has happened when Mr Jaishankar was a foreign service officer and when he was Foreign…
रविवार को पीएम मोदी ने एक टिप्पणी की थी जिसके बाद कच्चाथीवू द्वीप विवाद की शुरुआत हुई. दरअसल, पीएम मोदी ने साल 1974 में इस द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के फैसले को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला था. पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा था कि आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली! नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से कच्चाथीवू को छोड़ दिया. इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते! भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना 75 वर्षों से कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है.
Eye opening and startling!
— Narendra Modi (@narendramodi) March 31, 2024
New facts reveal how Congress callously gave away #Katchatheevu.
This has angered every Indian and reaffirmed in people’s minds- we can’t ever trust Congress!
Weakening India’s unity, integrity and interests has been Congress’ way of working for…
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने साल 1974 में समुद्री सीमा समझौते के तहत श्रीलंका को दिए गए कच्चातिवु को छोटा द्वीप और छोटी चट्टान करार बताया था. उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल में श्रीलंका 6,184 भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिया है और 1,175 भारतीय मछुआरों की नौकाओं को जब्त किया है. उन्होंने कहा कि पिछले 5 साल में कच्चाथीवू और मछुआरों का मुद्दा संसद में विभिन्न दलों ने बार-बार उठाया गया है. विदेश मंत्री जयशंकर ने दावा किया कि हम जानते हैं कि यह किसने किया, हम नहीं जानते कि इसे किसने छिपाया। हमारा मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई.