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कच्चातिवु द्वीप क्या है, जिसे श्रीलंका से भारत मे शामिल करने के लिए विपक्षी पार्टियां सरकार पर बना रही हैं दबाव

Katchatheevu Island: कच्चातिवु द्वीप का मामला न केवल भारतीय मछुआरों के अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है, जिस पर सरकार और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने दृष्टिकोण से बहस कर रहे हैं.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Katchatheevu Island History Opposition pushing PM Modi to bring UP from Sri Lanka
Courtesy: Social Media

Katchatheevu Island: कच्चातिवु द्वीप एक छोटा सा द्वीप है, जो श्रीलंका के समुद्र क्षेत्र में स्थित है. यह द्वीप भारत के तमिलनाडु राज्य से बहुत करीबी है, और इसे लेकर वर्षों से विवाद चलता आ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा पर कच्चातिवु द्वीप का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आया है. विपक्षी पार्टियां, खासकर कांग्रेस और DMK, केंद्र सरकार पर दबाव बना रही हैं कि वह इस द्वीप को भारत में शामिल करने के लिए ठोस कदम उठाए.

कच्चातिवु द्वीप का इतिहास

कच्चातिवु द्वीप का इतिहास बहुत पुराना है. यह द्वीप कभी ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा नियंत्रित था और बाद में यह राजा रामनाथ (अब रामनाथपुरम, तमिलनाडु) के अधीन था. स्वतंत्रता के बाद, भारत और श्रीलंका दोनों ही इस द्वीप को अपने अधिकार में मानते थे, लेकिन इसका हल कभी नहीं निकला. 1968 में, श्रीलंका के प्रधानमंत्री डडली सेनानयके ने इस द्वीप को लेकर भारत से औपचारिक बातचीत की थी, जिससे विवाद और भी गहरा गया.

1974 और 1976 के समझौते

भारत और श्रीलंका के बीच कच्चातिवु द्वीप पर विवाद को सुलझाने के लिए 1974 और 1976 में दो महत्वपूर्ण समझौते हुए. इन समझौतों के तहत, भारत और श्रीलंका ने अपनी समुद्री सीमा का निर्धारण किया. 1974 के समझौते में यह साफ कर दिया गया था कि कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका के जल क्षेत्र में आता है और वहां श्रीलंकाई सरकार का अधिकार होगा. हालांकि, भारतीय मछुआरों और तीर्थयात्रियों को इस द्वीप तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी, बिना किसी वीजा या यात्रा दस्तावेज के.

कच्चातिवु द्वीप पर मछुआरों के अधिकार

कच्चातिवु द्वीप तमिलनाडु के मछुआरों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. मछुआरे इस द्वीप का उपयोग अपनी जाल सुखाने, आराम करने और पूजा करने के लिए करते थे. द्वीप के भारतीय पक्ष पर दावा करने के बाद से मछुआरों की आजीविका पर असर पड़ा है. तमिलनाडु के नेताओं, जैसे जयललिता और करुणानिधि, ने पहले भी इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाया था, यह कहते हुए कि कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंपना भारतीय मछुआरों के अधिकारों का उल्लंघन है.

कच्चातिवु द्वीप को भारत में शामिल करने की मांग

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कच्चातिवु द्वीप को भारत में शामिल करने की मांग की. उनका कहना है कि यह कदम भारतीय मछुआरों के पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए जरूरी है. इसी तरह, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को इस पर ठोस कदम उठाना चाहिए.

विपक्ष का दबाव

कच्चातिवु द्वीप के मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों का दबाव अब बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस और DMK दोनों ने इस मामले पर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यह द्वीप भारतीय मछुआरों के अधिकारों के लिए खतरा बन चुका है और इसे पुनः भारत में शामिल किया जाना चाहिए. DMK और अन्य तमिल नेताओं का भी यही कहना है कि कच्चातिवु द्वीप का मामला तमिलनाडु के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है.