कश्मीर: बच्चों के साथ कुकृत्य करने के आरोप में धर्म उपदेशक को दोषी ठहराया

जम्मू-कश्मीर की एक अदालत ने सोमवार को एक धर्म उपदेशक को बच्चों के साथ कुकृत्य करने का दोषी ठहराया. बच्चे धार्मिक शिक्षा के लिए उपदेशक के पास आते थे. सोपोर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मीर वजाहत ने 2016 के एक मामले में रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) के तहत एजाज अहमद शेख को दोषी ठहराया

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कश्मीर में एक बड़ा मामला सामने आया है, जहाँ एक धर्म प्रचारक बच्चों के साथ बुरा काम करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है. यह मामला कश्मीर के एक छोटे से गाँव का है, जहाँ इस उपदेशक ने कई बच्चों के साथ अनुचित व्यवहार किया था. कोर्ट ने इस अपराध को गंभीर मानते हुए आरोपी को सजा दी है. इस घटना ने पूरे इलाके में गहरी हलचल मचा दी है और लोग इस तरह के अपराधों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं. 

मामले की सुनवाई के दौरान: कोर्ट ने धर्म उपदेशक को दोषी ठहराते हुए कड़ी सजा सुनाई. मामले की सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि आरोपी ने बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया. यह घटना पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में रही थी, और पुलिस ने मामले की जांच करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया था. अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराने के बाद उसे सजा दी, जो अब समाज के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आई है.

आरोपी धर्म प्रचारक के रूप में...

आरोपी धर्म प्रचारक के रूप में एक उच्च प्रसिद्धि रखते थे और बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने का कार्य कर रहे थे. उनके खिलाफ यह आरोप समाज के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है, क्योंकि वे बच्चों को रिलीजियस एंड मोरल एजुकेशन देने वाले एक आइडियल व्यक्ति माने जाते थे. उनका इस तरह का व्यवहार न केवल बच्चों के साथ विश्वासघात था, बल्कि समाज की उस पवित्रता को भी धक्का पहुँचाने वाला था जो उन्हें इस भूमिका में उम्मीद थी. 

इस मामले के बाद से कश्मीर के समाज में गुस्से और चिंता का माहौल है. स्थानीय लोग और विशेष रूप से अभिभावक इस घटना के बाद बच्चों की सुरक्षा को लेकर सतर्क हो गए हैं. कई लोगों का कहना है कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने वाले लोगों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, और इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के कृत्यों से बचा जा सके.

यह घटना एक संकेत है कि समाज में बदलाव की जरूरत है, खासकर उन संस्थाओं में जो बच्चों की सुरक्षा और उनके मानसिक विकास के लिए जिम्मेदार हैं. इस मामले ने यह साबित कर दिया कि बच्चों को सुरक्षित वातावरण में ही शिक्षा दी जानी चाहिए, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है.