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डिप्टी CM रहते क्यों उपचुनाव लड़ना चाहते हैं DK शिवकुमार? JDS के मैदान में कांग्रेस भर रही दम

Karnataka Politics: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने संकेत दिया है कि वो जनता दल (सेक्युलर) के नेता और केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी के सांसद बनने के बाद खाली हुई चन्नपटना सीट से उप चुनाव लड़ सकते हैं. इसके बाद से ही इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि वो उपमुख्यमंत्री रहते हुए फिर से मैदान में क्यों आना चाहते हैं. आइए समझें क्या हैं इसके मायने?

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Shyam Datt Chaturvedi
DK Shivakumar
Courtesy: Social Media

Karnataka Politics: लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक की 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इसमें HD कुमारस्वामी के सांसद बनने से खाली हुई सीट चन्नपटना शामिल हैं. चन्नपटना के साथ-साथ शिगगांव और संदूर में भी उपचुनाव होंगे. क्योंकि उनके मौजूदा विधायक बसवराज बोम्मई और कांग्रेस नेता ई तुकाराम भी उपचुनाव जीत गए हैं. ऐसे में अब राज्य की सियासत गरमाई हुई है. चर्चा है कि डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री रहते हुए उपचुनाव में उतर सकते हैं.

शिवकुमार ने चन्नपटना के दौरान इस सीट से चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि चन्नपटना मेरे दिल में है. यह पहले की सथनूर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था जिसका मैंने प्रतिनिधित्व करता था. मेरा राजनीतिक सफर यहीं से शुरू हुआ है. यहां के लोगों ने कठिन समय में मेरा साथ दिया. मुझे उनका कर्ज चुकाना है. इसे वैसे ही विकसित करना है जैसे हमने कनकपुरा को किया है. मैं स्थानीय नेताओं से चर्चा करने के बाद चुनाव लड़ने पर फैसला करूंगा.

क्यों लड़ना है चुनाव?

शिवकुमार के प्रस्ताव के लिए राजनीतिक संदर्भ परिपक्व हैं. कांग्रेस हाल लोकसभा चुनावों में कर्नाटक की 28 में से केवल नौ सीटें ही जीत पाई थी. इससे शिवकुमार को निजी तौर पर नुकसान उठाना पड़ा. उनके भाई डीके सुरेश बेंगलुरु ग्रामीण के से कुमारस्वामी के साले सीएन मंजूनाथ से हार गए. ऐसे में चन्नपटना की लड़ाई उपमुख्यमंत्री को खोई जमीन वापस पाने और CM पद के लिए अपनी दावेदारी मजबूत करने का एक अवसर हो सकता है.

विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत दिलाने के कारण शिवकुमार की राजनीतिक स्थिति सुधारी है. चन्नापटना, मांड्या क्षेत्र का हिस्सा है और जिसमें वोक्कालिंगा की बड़ी आबादी है. शिवकुमार, पूर्व PM एचडी देवेगौड़ा और कुमारस्वामी का विकल्प बन वोक्कालिगा नेता बनना चाहते हैं. वो यहां से चुनाव लड़कर ये बताना चाहते हैं कि जेडी(एस) ने यहां सालों से राज किया लेकिन वास्तविक नेता वो हैं.

क्यों खास है ये बेल्ट?

कांग्रेस ने दक्षिण कर्नाटक के वोक्कालिगा बेल्ट की 61 सीटों में से 39 सीटों पर कब्जा किया था. इसमें मांड्या की सात विधानसभा सीटें शामिल थी. ये 2018 में इस क्षेत्र में कांग्रेस को मिली 17 सीटों से बहुत बड़ी छलांग थी. 18 महीनों के भीतर हुए लोकसभा में यहां कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. दक्षिण कर्नाटक की 14 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को केवल 1 सीट ही हासिल हुई है. 2024 में ये साफ हो गया की  जेडीएस)-बीजेपी गठबंधन कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है.

सिद्धारमैया की स्थिति हुई है मजबूत

माना जा रहा है कि दक्षिण कर्नाटक में कांग्रेस की हार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की स्थिति को मजबूत किया है और शिवकुमार कमजोर हुए हैं. ऐसे में शिवकुमार के इच्छा को कांग्रेस आलाकमान की अनुमति मिलती है तो वो सुरेश को चन्नपटना से चुनाव लड़ा सकते हैं और अगर वो चुनाव लड़ते हैं तो अपने भाई के लिए कनकपुरा की अपनी सुरक्षित खाली कर देंगे.

विपक्ष साध रहा निशाना

शिवकुमार का बयान आने के बाद कुमारस्वामी ने कहा कि उपमुख्यमंत्री सत्ता में आने के बाद से एक बार भी चन्नपटना नहीं पहुंचे. अचानक उनको इस क्षेत्र से लगाव हो गया है. वह चन्नपटना के विकास की बात कर रहे हैं. वहीं बीजेपी नेता सीपी योगेश्वर कहा कि शिवकुमार सीएम बनने के लिए असंभव मिशन पर निकल पड़े हैं. चन्नपटना से उन्हें चुनाव लड़ने दीजिए. वह अब राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं और अब वह वह अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं.

भाजपा को क्या बोले शिवकुमार

भाजपा नेता को जवाब देते हुए शिवकुमार ने कहा कि लोग तय करेंगे कि वह अपने राजनीतिक जीवन के अंत के करीब हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि मैं इस क्षेत्र से हूं, मैंने मतदाताओं से समर्थन मांगा है. मैंने उनसे मुझे मजबूत करने के लिए कहा है. मैं उन्हें मजबूर नहीं कर रहा हूं. अगर उन्हें मुझ पर भरोसा है तो वे मेरा समर्थन करेंगे.