Kameshwar Chaupal dies in Delhi: वरिष्ठ आरएसएस नेता और राम जन्मभूमि आंदोलन के नेता कामेश्वर चौपाल का दिल्ली में निधान हो गया. बता दें की वह लंबी समय से बीमारी थे और उनका सर गंगा राम अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां अगस्त 2024 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. बिहार के सुपौल जिले से ताल्लुक रखने वाले कामेश्वर चौपाल श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य थे. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए पहली ईंट रखने के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पहले 'कार सेवक' के रूप में सम्मानित किया था.
चौपाल ने राम जन्मभूमि आंदोलन में अहम रोल निभाया है और जीवन भर सामाजिक और राजनीतिक पहलों में सक्रिय रूप से शामिल रहे. उनके निधन से मंदिर आंदोलन के इतिहास में एक युग का अंत हो गया.
बेगूसराय के बखरी से चुनाव लड़े कामेश्वर चौपाल ने 1991 में दिवंगत लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि वह यह चुनाव हार गए. 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. 2014 में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली और वह जीत नहीं पाएं. फरवरी 2020 में जब राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन हुआ तो उसमें बिहार से कामेश्वर चौपाल को भी शामिल किया गया. उस समय चौपाल ने कहा था कि उन्हें पहले से पता था कि शिलान्यास के लिए एक दलित को चुना गया है, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये सौभाग्य उन्हें मिलेगा.
कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं जिन्होंने ‘रोटी के साथ राम’ का नारा देकर एक नई पहचान बनाई. 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान पहली ईंट रखने का सम्मान उन्हीं को मिला. उस समय वे विश्व हिंदू परिषद के बिहार सह संगठन मंत्री के रूप में इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा बने.
धर्मगुरुओं के पूर्वनिर्धारित निर्णय के अनुसार, शिलान्यास की पहली ईंट रखने का कार्य कामेश्वर चौपाल को सौंपा गया. हालांकि, उन्हें इस जिम्मेदारी के बारे में पहले से जानकारी नहीं थी, लेकिन यह क्षण उनके लिए एक ऐतिहासिक संयोग साबित हुआ. जब उन्होंने मंदिर की आधारशिला रखी, तो उनका नाम पूरे देश में चर्चित हो गया और वे राम मंदिर आंदोलन का एक अभिन्न हिस्सा बन गए.