menu-icon
India Daily

कमल हासन का तमिल गौरव पर जोर, कहा- 'हमारी भाषा के साथ खिलवाड़ न करें'

कमल हासन, जो एक प्रसिद्ध अभिनेता से राजनेता बने हैं, हाल ही में अपनी राजनीतिक यात्रा पर विचार करते हुए कहा कि उनकी हार का मुख्य कारण राजनीति में देर से प्रवेश करना है. उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि यदि वे 20 साल पहले आते, तो उनकी स्थिति और संवाद भिन्न होते.

auth-image
Edited By: Ritu Sharma
Kamal Haasan
Courtesy: Social Media

Kamal Haasan News: अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने अपनी पार्टी मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के 8वें स्थापना दिवस के अवसर पर भाषाई स्वायत्तता और तमिल गौरव को लेकर कड़ा संदेश दिया. चेन्नई स्थित पार्टी मुख्यालय में झंडा फहराने के बाद उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और तमिल भाषा की महत्ता पर जोर दिया.

तमिलनाडु के संघर्ष की याद दिलाई

आपको बता दें कि अपने भाषण में हासन ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ तमिलनाडु के ऐतिहासिक संघर्ष का जिक्र किया और चेतावनी दी कि तमिल भाषा के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश न की जाए. उन्होंने कहा, ''तमिल लोगों ने अपनी भाषा के लिए जान गंवाई है. उनसे यह मत छीनो. यहां तक कि हमारे बच्चे भी यह जानते हैं कि उन्हें कौन-सी भाषा की जरूरत है और वे इसे चुनने में सक्षम हैं.''

राजनीतिक करियर पर किया आत्ममंथन

वहीं बता दें कि कमल हासन ने स्वीकार किया कि राजनीति में देर से आने के कारण उन्हें संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि मैं इसलिए हार गया क्योंकि मैंने राजनीति में बहुत देर से कदम रखा. अगर मैं 20 साल पहले आया होता, तो मेरी भाषा और स्थिति दोनों अलग होतीं.'' उन्होंने आलोचकों के उन दावों को भी संबोधित किया, जिसमें उन्हें 'असफल राजनीतिज्ञ' कहा गया. हालांकि, उन्होंने अपने राजनीतिक सफर को जारी रखने और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई.

2026 विधानसभा चुनाव की तैयारी का संकेत

बताते चले कि कमल हासन ने अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि जल्द ही एमएनएम की आवाज संसद और विधानसभा में सुनाई देगी. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ''आज हमारी पार्टी आठ साल की हो गई है, जैसे कोई बच्चा बड़ा हो रहा हो. इस साल हमारी आवाज संसद में गूंजेगी और अगले साल आपकी आवाज विधानसभा में सुनी जाएगी.''

हालांकि, कमल हासन ने अपने भाषण में तमिल भाषा की रक्षा, राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और आगामी चुनावों की तैयारियों पर जोर दिया. उनका संदेश स्पष्ट था कि तमिल गौरव और भाषाई स्वायत्तता से समझौता नहीं किया जाएगा.