साल 2014 में जब देश में नरेंद्र मोदी के नाम की लहर चली तब तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव नायक बनकर उभरे. 2024 आते-आते यही केसीआर मोदी विरोध की धुरी बन रहे थे. उन्होंने कई विपक्षी पार्टियों से मिलकर एक मोर्चा बनाने की कोशिश भी. नतीजा यह हुआ कि वह न तो पक्ष में रहे, न विपक्ष में बचे. यहां तक कि तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में हारने के बाद राज्य की सत्ता भी उनके हाथ से चली गई. दिल्ली की आबकारी नीति मामले में केसीआर की बेटी के. कविता जेल में हैं. वहीं, अब चर्चाएं हैं कि केसीआर उसी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से हाथ मिलाना चाहते हैं जिसके नेता के खिलाफ वह देशभर में आंदोलन छेड़ रहे थे.
इस बार के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच आ गई है. बीजेपी तेलंगाना में लगातार मजबूत हो रही है और यही बात बीआरएस को खाए जा रही है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के धुर विरोधी रहे केसीआर अब बीजेपी के साथ अपने भविष्य के सपने देखने लगे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ बीजेपी नेताओं ने यह तक कह दिया है कि अगर बीआरएस को बीजेपी के साथ आना है तो वह अपनी पार्टी का विलय कर दे.
विधानसभा और लोकसभा के चुनाव नतीजों के बाद बीआरएस बिखरने लगी है. खुद केसीआर लंबे समय तक अस्पताल में रहे. के कविता जेल में हैं और पार्टी के कई नेता बगावत पर उतर आए हैं. कई नेता तो पार्टी छोड़कर कांग्रेस या बीजेपी में भी जा चुके हैं. दूसरी तरफ, केसीआर अभी भी सार्वजनिक रूप से सक्रिय नहीं हुए हैं. वहीं, कांग्रेस की मौजूदा सरकार बीआरएस के कई नेताओं के खिलाफ मुकदमे भी कर चुकी है. खुद केसीआर की बेटी के कविता दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच महीने से जेल में हैं. ऐसे में पार्टी हर दिन कमजोर होती जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में केसीआर के बेटे और पूर्व मंत्री एन टी रामा राव दिल्ली आए थे. उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के नेताओं से मिलकर कुछ बातचीत की कोशिश भी की. बीजेपी के ही कुछ नेता इस गठबंधन का विरोध करते हुए कहते हैं कि ये कोशिशें उन नेताओं की ओर से हो रही हैं जो बीआरएस के नेताओं और खासकर केसीआर के परिवार को बचाना चाहते हैं. एक नेता ने तो यह तक कह दिया कि अगर बीजेपी तेलंगाना में बीआरएस से हाथ मिलाती है तो यह आत्मघाती होगा.
बीआरएस के साथ गठबंधन का विरोध करने वाले नेताओं का यह गुट इसे गैरजरूरी बताता है. इस गुट का कहना है कि बीजेपी ने तेलंगाना की 8 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करके अपनी ताकत साबित की है. वहीं, बीआरएस के नेता और पूर्व सांसद बी विनोद कुमार ने कहा है कि किसी भी तरह की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. उनका कहना है, 'अभी तो चुनाव बहुत दूर हैं लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है. किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.'
बीआरएस नेता विनोद कुमार यह भी कहते हैं, 'तेलंगाना के सभी 33 जिलों के हर गांव में बीआरएस का संगठन है. हम हारे जरूर हैं लेकिन हमें उम्मीद है कि हम फिर से उभरेंगे. अभी से ही लोगों में रेवंत रेड्डी की सरकार के खिलाफ गुस्सा है. कांग्रेस पांच साल पहले और बुरे हाल में थी और उसके पास सिर्फ 5 विधायक बचे थे लेकिन अब वह सत्ता में आ गई है. ऐसे में हमें मौजूदा हालात को लेकर बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए.'
आपको बता दें कि तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 119 में 64 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. इस चुनाव में बीआरएस को सिर्फ 39 सीटें मिली थी. तब से अब तक उसके 7 विधायक कांग्रेस में जा चुके हैं और एक का निधन हो गया है. इस तरह से बीआरएस के विधायकों की संख्या घटकर 31 हो चुकी है. वहीं, उसके एमएलसी भी लगातार पाला बदल रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव उसके लिए और निराशाजनक रहे और बीआरएस एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई.