'देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक कल्पना बनकर रह जाएंगे', CEC-EC Bill 2023 पर बोले जस्टिस नरीमन
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने शुक्रवार को कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाता है तो इसे अदालत द्वारा निरस्त कर दिया जाना चाहिए.
CEC-EC Bill 2023: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने शुक्रवार को कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाता है तो इसे अदालत द्वारा निरस्त कर दिया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस इस साल देश में हुईं कई परेशान करने वाली घटनाओं पर बात कर रहे थे जिसमें बीबीसी से दफ्तर पर छापा और शीर्ष अदालत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का हालिया फैसला शामिल है.
'देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक कल्पना बनकर रह जाएंगे'
मुंबई के दरवारी हॉल में 'भारत का संविधान: नियंत्रण और संतुलन' विषय पर 30वें बंसारी सेठ बंदोबस्ती व्याख्यान देते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और एक विपक्ष के नेता वाली समिति द्वारा की जाती है तो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक कल्पना बनकर रह जाएंगे.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाली समिति में पीएम, सीजेआई और एक विपक्ष का नेता शामिल होगा.
'यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण'
जस्टिस नरीमन ने सीईसी और ईसी की नियुक्ति वाले विधेयक पर कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब से कुछ ही समय बाद यह विधेयक अधिनियम बन जाएगा, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किये जाने वाले एक मंत्री को जगह दी गई है. यह दूसरा सबसे परेशान करने वाला मामला है क्योंकि यदि आप वास्तव में इस तरह से ईसी और सीईसी की नियुक्ति करने जा रहे हैं तो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक कल्पना बनकर रह जाएंगे.
'कोर्ट द्वारा इस बिल को निरस्त कर दिया जाना चाहिए'
उन्होंने कहा कि अगर यह बिल संसद में बिना किसी परेशानी के पास हो जाता है और अगर इसे कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो कोर्ट को इसे निरस्त कर देना चाहिए.
जस्टिस नरीमन ने आगे कहा कि इस बिल के कानून बन जाने पर हम यह देखेंगे कि इस पर हमारे कोर्ट का क्या रुख रहता है. उन्होंने कहा कि में पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि इस बिल को चुनौती दी जाएगी. मेरे अनुसार इसे एक मनमाना कानून मानकर खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह चुनाव आयोग के काम करने की स्वतंत्रता पर गंभीर रूप से प्रभाव डालता है.