NEET PG Postpone: सिंगरौली (मध्य प्रदेश) में एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर में काम करने वाले डॉक्टर आकाश सोनी शिफ्ट बदल रहे थे और ड्यूटी के बीच नीट पीजी परीक्षा की तैयारी के लिए सीनियर्स से मदद मांग रहे थे. उन्होंने तीन दिन की छुट्टी ली थी, 700 किलोमीटर से ज़्यादा की यात्रा करके भोपाल पहुंचे, जहां उनका एग्जाम सेंटर था. जैसे ही उन्होंने अपनी रिवीजन पूरी की, उनके फोन पर एग्जाम के पोस्टपोन होने का अलर्ट आ गया. वे कहते हैं कि मुझे फिर से छुट्टी नहीं मिलेगी, नौकरी छोड़ने का जोखिम भी नहीं उठा सकता. मेरी ज़िंदगी अधर में लटकी हुई है.
सोलापुर के 23 साल के डॉक्टर औवेस शेख को अपने एग्जाम सेंटर तक पहुंचने के लिए लगभग 7 घंटे का सफर तय करना पड़ा. पुणे, एक लॉज में चेक-इन किया और 10,000 रुपये खर्च किए. डॉक्टर सहीफा हरीम, जिन्हें 27 जून को दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में जॉइन करना था, ने एचआर को बताया कि वो नहीं आ सकतीं, क्योंकि उन्हें इस बात की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि पीजी परीक्षा कब होगी?
ये लगभग दो लाख MBBS ग्रैजुएट्स में से कुछ हैं, जो देश भर में लगभग 52,000 पोस्ट ग्रैजुएशन सीटों में से अपनी सीट सुरक्षित करने की उम्मीद में हर साल NEET PG परीक्षा के लिए तैयार रहते हैं. एग्जाम्स रद्द करना सरकार के लिए एक सामान्य कदम हो सकता है, लेकिन इसकी तैयारी में जुटे अभ्यर्थियों के लिए ये फैसला उनकी जिंदगी में उथल-पुथल मचा देता है. उन्हें एग्जाम सेंटर्स तक की यात्रा, होटल्स और लॉज्स बुकिंग की भारी कीमत देनी पड़ती है, जिसकी वापसी की कोई उम्मीद भी नहीं होती. पहले से ही कोचिंग फीस के बोझ तले दबे होने के कारण, उनके पास कोई विकल्प नहीं है और उनके पास कोई सहारा या बैकअप प्लान नहीं होता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, MBBS डॉक्टर प्रथमेश धोपले, जिन्होंने अभी-अभी अपनी इंटर्नशिप पूरी की थी, परेशानी को याद करते हुए उनके पिता ने कहा कि हमें अपने घर से एग्जाम सेंटर के लिए जाना पड़ा. ये जरूरी थी, लेकिन एग्जाम सेंटर के पास ही एक होटल में कमरे के लिए 13 हजार रुपये खर्च करने पड़े. जब तक हमें एग्जाम के पोस्टपोन होने का पता चला, तब तक रात के 10.30 बज चुके थे.
डॉक्टर सोनी को यकीन था कि वे 2,000 से कम रैंक हासिल कर सकते हैं और अपनी पसंद की सीट पा सकते हैं. उन्होंने बताया कि मैं टेलीग्राम पर हूं, एक बॉट ग्रुप ने परीक्षा से पहले 1.3 लाख रुपये और परीक्षा के बाद 1.2 लाख रुपये के भुगतान पर NEET-PG क्वेश्चन पेपर शेयर करने का वादा किया था. डॉ. सोनी ने कहा कि मेरे कई साथियों को समेत कई अन्य.अभ्यर्थियों को ऐसे मैसेज मिले थे.
यूपी के जौनपुर की रहने वाली डॉक्टर सौम्या सिंह इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि अपने दूसरे प्रयास के लिए उन्होंने अपने परिवार से जो कर्ज लिया था, उसे कैसे चुकाएं. हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस ग्रैजुएशन करने वाली सौम्या का सेंटर नोएडा था. चेहरे पर निराशा के भाव के साथ वे पूछती हैं कि जब मैंने रात 10 बजे अपने इनबॉक्स में मैसेज देखा तो मुझे लगा कि यह फर्जी खबर है. लेकिन जब मैंने स्वास्थ्य मंत्रालय का ट्वीट देखा तो मैं हैरान रह गई.
सौम्या ने कहा कि एमबीबीएस पूरा करने के बाद पिछले एक साल से मैं काम नहीं कर रही हूं. मैं इस परीक्षा की तैयारी कर रही हूं और एम्स के पास गौतम नगर में किराए पर मकान लिया है. मेरे माता-पिता ने मेरे खर्चे उठाए ताकि मैं परीक्षा पास कर सकूं. अगर मैं किसी अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट के तौर पर शामिल होती तो आसानी से एक लाख रुपये प्रति माह कमा सकती थी. अब जो समय गंवाया है, उसकी कीमत आखिर कौन चुकाएगा?
एक अन्य जूनियर डॉक्टर ने कहा कि एक साल से एक ही रूटीन का पालन करते-करते मैं थक गया हूं. क्या पॉलिसी मेकर्स केबिन से बाहर निकलकर देखेंगे कि ज़मीन पर क्या हो रहा है? दिल्ली के डॉक्टर शुभम झा ने बताया कि उन्होंने एलएचएमसी से एमबीबीएस किया है और ये उनका पहला अटैम्प्ट था. उन्होंने मेरठ में अपने एग्जाम सेंटर के लिए कैब बुक की थी. अपने साथियों के विपरीत, वे एलएचएमसी में जूनियर रेजिडेंट के रूप में अपनी नौकरी छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते थे और पढ़ाई के लिए दो सप्ताह की छुट्टी ले ली. अब वे आर्थिक रूप से अपने परिवारों पर निर्भर हैं. हममें से कुछ लोगों के लिए हर पैसा मायने रखता है, तो सरकार पहले से सूचना क्यों नहीं दे सकती थी?
एमबीबीएस ग्रैजुएट और दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में पूर्व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ज़ैनब शेख को दूसरी बार परीक्षा देनी थी और उन्होंने तीन महीने पहले ही अपनी रेजिडेंसी छोड़ दी थी. उन्होंने कहा कि अब हमें पूरी प्रक्रिया से फिर से गुजरना होगा क्योंकि 19 विषय हैं और तैयारी के उसी स्तर को बनाए रखना असंभव है. आपको बार-बार रिवीजन करना होगा. दो और परीक्षाएं आने वाली हैं, एक 7 जुलाई को आरएमएल दिल्ली की और दूसरी यूपीएससी सीएमएस की. अब मुझे नहीं पता कि अगली तारीख कब घोषित होगी और मेरी तैयारी प्रभावित हुई है.
डॉक्टर सहीफा हरीम ने मार्च में होने वाली परीक्षा की तैयारी के लिए दिसंबर में दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में अपनी नौकरी छोड़ दी थी. उन्होंने यह सोचकर कोई दूसरी नौकरी नहीं की कि परीक्षाएं समय पर होंगी. उन्हें अपोलो दिल्ली में नौकरी की पेशकश भी की गई थी, जहां उन्हें 27 जून से काम करना था और अब उन्होंने नौकरी छोड़ दी है. डॉक्टर सोनी की तरह, उन्हें भी अपने टेलीग्राम ग्रुप पर लीक हुए प्रश्नपत्रों को खरीदने का मैसेज मिला. हरीम कहती हैं कि मैंने ईद नहीं मनाई, मेरी मां मेरी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पिछले ढाई महीने से मेरे साथ रह रही हैं.