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India Daily

Justice Yashwant Verma: जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को केंद्र की मंजूरी, जानें किस हाई कोर्ट में हुआ तबादला?

पिछले हफ्ते आग लगने की घटना के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास से कैश बरामद होने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेज दिया गया. हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि उन्हें "प्रेस में बदनाम किया जा रहा है".

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Edited By: Mayank Tiwari
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस यशवंत वर्मा
Courtesy: Social Media

Judge Cash Row: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कैश मिलने के बाद मुश्किलें थमनें का नाम नहीं ले रही हैं. भारत सरकार ने गुरुवार (27 मार्च) को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया. उन्हें उत्तर प्रदेश स्थित इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी नई जिम्मेदारी संभालने का निर्देश दिया गया है. वहीं, इस फैसलें से पहले सरकार ने कहा था कि वह जस्टिस वर्मा के मामले की समीक्षा कर रही है और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को भी मंजूरी दे दी है, जिसके तहत दिल्ली हाई कोर्ट के एक और जज, जस्टिस चंद्रधारी सिंह का इलाहाबाद हाई कोर्ट में पुनर्नियुक्ति (रिपैट्रीएशन) किया गया है. यह मामला कई महीनों से लंबित पड़ा हुआ था. नवंबर 2024 में, भारत के सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस सिंह की इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापसी की सिफारिश की थी.

जज के घर से हुए काले धन की बरामदी के बाद बढ़ा विवाद

जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर उस वक्त हुआ, जब पिछले हफ्ते उनके घर से एक बड़े धनराशि का बंडल जब्त हुआ था. यह मामला एक आगजनी की घटना के दौरान सामने आया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनका इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की. दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने जस्टिस वर्मा से संबंधित सभी न्यायिक कार्य भी वापस ले लिए हैं.

इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने जताया विरोध

जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर के फैसले के बाद, इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया और कहा कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने वाले न्यायाधीशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे. इसके साथ ही अन्य बार एसोसिएशनों ने भी इलाहाबाद बार का समर्थन करते हुए सीजेआई से जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर की सिफारिश को वापस लेने की मांग की. 

CJI ने गठित की तीन सदस्यीय समिति

इस बीच, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करेगी. इस मामले ने न्यायिक हलकों में हलचल मचा दी है और इसे लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं.  हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्हें मीडिया में बदनाम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं और वह इस मामले में अपने अधिकारों का पालन करेंगे.