कहते हैं कि बाहर से आने वाले लोग हमेशा दूसरों को परेशान ही नहीं करते, कभी-कभी वे दूसरे के काम भी आते हैं. उत्तराखंड में इन दिनों देश और विदेश से चारधाम यात्रा पर आने वाले लोगों का एक हुजूम लगा हुआ है. भीड़ इतनी बढ़ रही है कि वहां के स्थानीय लोगों को भी ट्रैफिक जाम और तमाम कई दूसरी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन वहां की नगर पालिका की टीम आपदा में अवसर ढूंढने का काम कर रही है.
चारधाम यात्रा पर आ रहे श्रद्धालुओं में कुछ ऐसे भी लोग रहते है जिन्हें बस वादियों में घूमना, रील्स बनाना और जैसे-तैसे भक्ति करना बेहद पसंद आता है. ऐसे लोग रास्ते भर को एंजॉय करते जाते हैं लेकिन एक बात का कतई ध्यान नहीं रखते कि इन ऊचें पहाड़ों को साफ रखना उनकी भी जिम्मेदारी है.
चारधाम यात्रा के कचरे ने कर दिया मालामाल
कुछ लोग ये भूल जाते हैं कि इस दुर्लभ यात्रा पर हर कोई नहीं जा पाता है. जिन वादियों और पहाड़ों को देखने का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ है वो हर किसी को नहीं मिलता. बावजूद वे इस पूरे यात्रा के दौरान रास्ते भर में गंदगी मचा देते हैं. जहां तहां कचरा फेकते चले जाते हैं. हालांकि, उनकी ये गंदगी और उनके द्वारा फेंके गए प्लास्टिक के कचड़े को अब वहां की नगर पालिका यूज लाकर में मालामाल हो रही है. पहाड़ों पर कुछ लोग खाकर, पीकर जिस प्लाटिक के कचरों को इधर उधर फेंक देते हैं. उसी कचरे को चुनकर जोशीमठ की नगरपालिका रिसाइकिलिंग करके खूब पैसा कमा रही है. बता दें कि अब तक उन्होंने इस कचरे से करीब एक करोड़ की कमाई कर ली है.
इस रिसाइकिलिंग कचरे में मुख्य रूप से वे प्लास्टिक की बोतलें शामिल हैं जो पानी या कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद टूरिस्ट उसे फेंक देते हैं. इस प्लास्टिक वाले कचरे को जमा कर कॉम्पेक्टर मशीन से ब्लॉक बनाकर इसको रिसाइकिल किया जाता है. इकट्ठा किए गए प्लास्टिक के कचरों को साफ करने के लिए 22 मजदूरों की ड्यूटी लगाई जाती है. उसके बाद सभी कचरो को रिसाइकल किया जाता है.
गौरतलब है कि इस बार चारधाम यात्रा पर इतने ज्यादा श्रद्धालु जा रहे हैं कि जगह-जगह लंबे जाम की समस्या देखी जा रही है. भीड़ के चलते कुछ दिन पहले चारधाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन भी दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था, वहीं आया दिन इस यात्रा के रास्त से हादसे वाली खबर भी सामने आ रही है.