नई दिल्ली: जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए तैयारियां पूरा कर ली गई है और सम्मेलन में शामिल होने वाले मेहमानों के दिल्ली पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. मॉरीशस पीएम, नाइजीरियाई राष्ट्रपति समेत कई मेहमान दिल्ली पहुंच चुके हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी आज दिल्ली पहुंच जाएंगे.
दिल्ली एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह उनका स्वागत करेंगे. आपको बता दें जो बाइडेन का यह भारत दौरा इसलिए खास है क्योंकि जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के साथ-साथ वह भारत में पीएम मोदी के साथ एक अहम बैठक भी करेंगे. जो बाइडेन शुक्रवार शाम को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचेंगे. जहां केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह उनका स्वागत करेंगे.
पीएम मोदी के साथ बैठक करेंगे बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पीएम मोदी के साथ एक अहम बैठक भी करेंगे. इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा. इस दौरे को लेकर व्हाइट हाउस की ओर से जानकारी साझा करते हुए बताया गया है कि जो बाइडेन 9 और 10 सितंबर को जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, 10 सितंबर राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि का दौरा करेंगे और फिर वियतनाम के लिए रवाना होंगे.
जानिए किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
अमेरिकी अधिकारियों की ओर से साझा की गई जानकारी में बताया गया है कि भारत में पीएम मोदी और जे बाइडेन के बीच आयोजित बैठक में जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग और बहुपक्षीय विकास बैंक सुधार एजेंडे पर चर्चा की जाएगी. इस बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की संभावना है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के अनुसार इस बैठक में स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और हाई-टेक्नोलॉजी सहित कई क्षेत्रों में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि इनमें छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों पर संभावित परमाणु समझौता, भारतीय छात्रों के लिए अकादमिक कार्यक्रम, ड्रोन डील, जेट इंजन पर रक्षा सौदे के लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी पर प्रगति, यूक्रेन के लिए संयुक्त सहायता, वीजा का मुद्दा और एक-दूसरे के देशों में नए वाणिज्य दूतावास शामिल हैं.
जी-20 सम्मेलन में उठाएंगे ये मुद्दा
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अनुसार जी-20 सम्मेलन में जो बाइडेन अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के सिद्धांतों, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सिद्धांतों के सम्मान में स्थापित एक न्यायसंगत और टिकाऊ शांति का आह्वान करेंगे. इस दौरान इस बात पर जोर दिया जाएगा कि इन सिद्धांतों का पालन करते हुए अमेरिका तक तब यूक्रेन का समर्थन करेगा जब तक उसे आवश्यकता होगी.