JNU Violence: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में शुक्रवार देर रात उस समय तनाव फैल गया जब यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों के दो संगठन आपस में भिड़ गए. इस झगड़े में कई छात्र नेता और छात्र कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. सभी घायलों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एक छात्र समूह के अनुसार ये संघर्ष स्टूडेंट यूनियन के चुनाव से पहले आम सभा की बैठक बुलाने के प्रोटोकॉल पर विवाद के बाद हुआ है. आरोप है कि कथित तौर पर जरूरी कोरम पूरा किए बिना ये बैठक बुलाई गई थी, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन हुआ और फिर देखते ही देखते हिंसा-बवाल हो गया.
जेएनयू के संविधान के अनुपालन में पारंपरिक रूप से चुनाव से पहले एक सामान्य निकाय की बैठक आयोजित की जाती है, जिसमें सभी छात्र संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं. इश दौरान कम से कम 10 प्रतिशत छात्र निकाय के हस्ताक्षर होते हैं. हालांकि यह दावा किया जाता है कि उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. उधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का आरोप है कि वामपंथी और एनएसयूआई छात्रों ने इन नियमों की अवहेलना की.
जांच में सामने आया है कि छात्रों में काफी हिंसक झड़पें हुई हैं. हिंसा के दौरान छात्रों के हाथ में जो भी कुछ पड़ा, उसे से एक दूसरे पर हमला कर दिया. उधर, एबीवीपी के छात्रों का कहना है कि कैंपस में ये घटनाएं असामान्य नहीं हैं. विवाद के बाद आरोप लगाया कि कैंपस में पहले भी इससे बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. साल 2016 में भी जेएनयू कैंपस में भारत विरोधी नारे लगाए गए थे. कहा गया था कि भारत तेरे टुकड़े होंगे... वहीं घायल छात्रों की तहरीर पर दिल्ली पुलिस ने शिकायतें दर्ज की हैं. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.
पिछले साल जेएनयू मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) की ओर से कई सख्त नियम जारी किए थे. मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय मैनुअल में बताया गया था कि अकादमिक भवनों के 100 मीटर के दायरे में पोस्टर और विरोध प्रदर्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है. इस नियम का उल्लंघन करने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना या आरोपी का निष्कासन होगा. कथित तौर पर 'राष्ट्र-विरोधी' नारेबाजी की घटना से सबक लेकर ये नियम बनाए गए थे. जिसका जेएनयू के छात्र संघों ने विरोध किया था. कहा था कि परिसर की संस्कृति का दमन किया जा रहा है.