Jharkhand Politics: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हेमंत सरकार में वर्तमान में कैबिनेट मंत्री चंपई सोरेन अन्य छह विधायकों के साथ दिल्ली आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में चंपई सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अन्य 6 विधायक भाजपा के सीनियर नेताओं से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि चंपई सोरेन अन्य छह विधायकों के साथ आज ही भाजपा ज्वाइन कर लेंगे. हालांकि, ये अटकलें हैं, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो ये झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए बड़ा झटका साबित होगा.
झारखंड की राजनीति को करीब से जानने वालों के मुताबिक, चंपई सोरेन पार्टी के छह विधायकों के साथ शनिवार को कोलकाता पहुंचते हैं. इसके बाद तय होता है कि रात कोलकाता में ही गुजारी जाए. इसके बाद रविवार सुबह फ्लाइट पकड़कर दिल्ली पहुंचा जाए. ये सबकुछ प्लानिंग के मुताबिक ही हुआ और अचानक रविवार सुबह 10 बजे के बाद खबर आ गई कि चंपई सोरेन पार्टी के अन्य 6 विधायकों के साथ दिल्ली आ रहे हैं.
कहा जा रहा है कि चंपई सोरेन और अन्य छह विधायकों के दिल्ली रवाना होने के बाद JMM के शीर्ष नेता उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है. चंपई सोरेन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के जो अन्य छह विधायक हैं, उनमें दशरथ गगराई, चमरा लिंडा, लोबिन हेम्ब्रम, समीर मोहंती और रामदास सोरेन शामिल हैं.
दो दिन पहले यानी शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब झामुमो के सीनियर नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से भाजपा ज्वाइन करने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बिलकुल सधा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हम तो आपके सामने बैठे हैं. जब मीडियाकर्मियों ने यही सवाल झारखंड भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दीपक प्रकाश से पूछा तो उन्होंने भी सधा जवाब दिया और कहा कि मुझे इस बारे में तो कुछ भी नहीं पता, ये सबकुछ पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही तय करता है.
चंपई सोरेन 7 बार के विधायक हैं, फिलहाल वे सरायकेल से झारखंड मुक्ति मोर्चा के MLA हैं. फिलहाल, वे हेमंत सोरेन सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. उन्हें कोल्हान टाइगर भी कहा जाता है. कहा जाता है कि चंपई सोरेन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता के करीबी हैं. झारखंड आंदोलन में चंपई सोरेन ने शिबू सोरेन के साथ मिलकर काम किया था. चंपई, शिबू के कितने करीबी हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई मौकों पर सार्वजनिक मंचों पर हेमंत सोरेन उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते दिखे हैं.
1991 में पहली बार चंपई सोरेन ने चुनाव लड़ा था और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्होंने 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. साल 2000 में हार के बाद 2005 से चंपई सोरेन लगातार सरायकेला से विधायक हैं.
माना जाता है कि 1995 से झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ जुड़े चंपई सोरेन का पार्टी से उस वक्त मोहभंग हो गया, जब पांच महीने बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया गया. दरअसल, जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दे दिया था और जेल चले गए थे. इसके बाद पार्टी के विधायकों और कांग्रेस के समर्थन से चंपई सोरेन झारखंड के 7वें मुख्यमंत्री बने. जब हेमंत सोरेन 5 महीने बाद जुलाई में जेल से बाहर आए, तब चंपई सोरेन से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलवा दिया गया और खुद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बन गए. चंपई ने 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तक झारखंड की कमान संभाली.
जब चंपई को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, तब उन्होंने कहा भी था कि आखिर इसकी जरूरत ही क्या थी. सरकार अपना काम कर रही थी और हेमंत सोरेन के विजन को जनता तक पहुंचा भी रही थी. उन्होंने कहा था कि पार्टी के इस कदम से जनता में अच्छा संदेश नहीं जाएगा. लेकिन उनकी बातों को दरकिनार करते हुए हेमंत सोरेन ने उनसे इस्तीफा दिलवा दिया और खुद एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गए.
अगर चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं, तो ये झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए तगड़ा झटका हो सकता है. राजनीतिक के जानकारों के मुताबिक, अगर चंपई भाजपा में आते हैं, तो भगवा पार्टी को आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने में बड़ी सफलता मिलेगी, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसके अलावा, झारखंड मुक्ति मोर्चा में गुटबाजी भी हो सकती है, क्योंकि कहा जाता है कि चंपई सोरेन को जब इस्तीफा दिलवाया जा रहा था, तब पार्टी के कुछ नेताओं ने इस कदम का विरोध भी किया था.
झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में चंपई सोरेन की अच्छी पकड़ मानी जाती है. जानकारों की मानें तो जमशेदपुर समेत पोटका, घाटशिला, बहरागोड़ा, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम के विधानसभा क्षेत्रों में चंपई सोरेन की मजबूत पकड़ है. कुल मिलाकर झारखंड की 81 में से करीब 15 सीटों पर चंपई सोरेन की अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. अगर वे भाजपा में शामिल होते हैं, तो इस साल के आखिर में झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को बड़ी लीड मिल सकती है. जिस कोल्हान प्रमंडल का चंपई को टाइगर बताया जाता है, उस प्रमंडल से फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा के 11 विधायक हैं.