Jharkhand Corruption Story: झारखंड एक बार फिर चर्चा में है. खनिज संपदा वाले राज्य में नेताओं की तिजोरियां समय-समय पर कैश उगलती हैं. नया मामला झारखंड के कांग्रेस के सीनियर नेता आलमगीर आलम से जुड़ रहा है. ये पहली बार नहीं है, जब झारखंड में किसी के पास इतनी बड़ी संख्या में कैश बरामद हुई है. पिछले साल दिसंबर यानी करीब 6 महीने पहले ही झारखंड में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के पास से 350 करोड़ से अधिक कैश बरामद किए गए थे. आइए, जानते हैं कि 23 साल पुराने झारखंड को कब-कब इस तरह के कारनामों से बदनाम होना पड़ा?
झारखंड में भ्रष्टाचार के काले कारनामों के बारे में जानने से पहले हाल के सबसे चर्चित एक मामले का जिक्र करना जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से पहले 11वें मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. हेमंत सोरेन जमीन घोटाले में जेल में बंद हैं. ऐसा नहीं है कि वे जेल जाने वाले पहले मुख्यमंत्री थे. उनके पहले झारखंड को 7 मुख्यमंत्री (बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, मधु कोड़ा (1-1 बार ), अर्जुन मुंडा और शिबू सोरेन (3-3 बार ) और हेमंत सोरेन (2 बार ) मिल चुके हैं. वर्तमान में चंपई सोरेन मुख्यमंत्री हैं.
23 साल के झारखंड के कुल 7 मुख्यमंत्रियों में 3 को भ्रष्टाचार और अन्य मामलों के कारण जेल जाना पड़ा है. इनमें हेमंत सोरेन के अलावा उनके पिता शिबू सोरेन और मधु कोड़ा शामिल हैं.
चारा घोटाला: ये वो दौर था, जब झारखंड, बिहार का हिस्सा हुआ करता था. इस केस में लालू यादव समेत कई बड़े नामों को जेल की हवा खानी पड़ी. इस घोटाले की रकम 950 करोड़ रुपये तक बताई गई. चारा घोटाले की जांच के दौरान पुलिस समेत जांच एजेंसियों ने अलग-अलग कुल 50 से अधिक मामले दर्ज किए. इन मामलों में लालू यादव समेत 170 आरोपी भी बनाए गए. झारखंड के अलग होने के चार साल पहले यानी 1996 में इस घोटाले का पहली बार जिक्र हुआ था.
18 सितंबर 2006 को झारखंड के चौथे मुख्यमंत्री के रूप में निर्दलीय मधु कोड़ा ने पद एवं गोपनियता की शपथ ली. मधु कोड़ा के शासनकाल में शेल कंपनियों के जरिए कालाधन को सफेद करने का मामला सामने आया. इस घोटाले की चर्चा न सिर्फ उस वक्त देश में हुई थी, बल्कि सामान्य तौर पर किसी राज्य में घोटालों की खबर आती है, तो झारखंड के इस सबसे बड़े घोटाले की भी चर्चा होती है. मामले में मधु कोड़ा को जेल भी जाना पड़ा था. फिलहाल, मामला कोर्ट में पेंडिंग है और मधु कोड़ा जमानत पर हैं. उनकी पत्नी गीता कोड़ा लोकसभा चुनाव 2024 में सिंहभूम लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी हैं.
साल 2008-09 में झारखंड में दवा घोटाला सामने आया था. दावा किया गया था कि इस घोटाले की रकम 130 करोड़ रुपये है. मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. ये घोटाला भी मधु कोड़ा के शासनकाल का ही है. उस दौरान तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही को आरोपी बनाया गया था. भानु प्रताप शाही फिलहाल भाजपा के विधायक हैं.
झारखंड की राजधानी रांची में 2011 में 34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन किया गया था. दावा किया गया था कि इस घोटाले की रकम 28 करोड़, 34 लाख रुपये हैं. मामले की जांच फिलहाल सीबीआई के पास ही है.
झारखंड में हुए भ्रष्टाचार की लिस्ट में मनरेगा घोटाला भी शामिल है. इस मामले में IAS अफसर पूजा सिंघल को जेल भी जाना पड़ा था. पूजा सिंघल के CA सुमन कुमार के घर से ED ने छापेमारी कर 19 करोड़ रुपये कैश बरामद किया था.
झारखंड के साहिबगंज जिले में 1 हजार करोड़ रुपये के अवैध खनन घोटाले का मामला सामने आया था. मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की सौंपी गई थी. इस मामले में भी सस्पेंड IAS अफसर पूजा सिंघल की संलिप्तता पाई गई थी. ये ऐसा मामला है, जो पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ा है. इस मामले में भी ED हेमंत सोरेन से पूछताछ की है.
झारखंड को वो घोटाला जिस मामले में हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इस्तीफे के तुरंत बाद ED ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. ये मामला राजधानी रांची से जुड़ा है. आरोप है कि राजधानी की कई जमीनों को फर्जी तरीके से बेचा गया है. मामले की जांच के दौरान ED हेमंत सोरेन के अलावा, IAS छवि रंजन समेत कई अन्य कारोबारियों को गिरफ्तार कर चुकी है. इस घोटाले की रकम करीब 400 करोड़ बताई गई है.
ऐसा नहीं है कि 23 साल पुराने झारखंड में सिर्फ भ्रष्टाचार की कहानियां लिखी गईं हैं. इस छोटे से राज्य में सफलता की कई ऐसी कहानियां भी लिखी गईं, जो अगले कई वर्षों तक याद की जाएंगी. इनमें जयपाल सिंह का नाम आता है, जिनके नेतृत्व में 1928 में भारत ने पहली बार ओलंपिक हॉकी में पार्टिसिपेट किया था.