लापरवाही या कुप्रबंधन? झारखंड पुलिस भर्ती में 12 मौतों से घिरी हेमंत सरकार; भाजपा ने भर्ती अभियान को बताया 'मौत की दौड़'

Jharkhand Constable Recruitment Drive: झारखंड आबकारी सिपाही भर्ती परीक्षा के लिए फिजिकल टेस्ट के दौरान 12 अभ्यर्थियों की हाल ही में मौत हो गई. घटना ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के शासन और प्रशासनिक क्षमताओं में गंभीर खामियों को उजागर किया है. राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की दिशा में जो सकारात्मक कदम होना चाहिए था, वो एक हृदय विदारक त्रासदी में बदल गया. घटना के बाद भाजपा ने झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार पर लापरवाही से लोगों की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया है.

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Jharkhand Constable Recruitment Drive: झारखंड में पुलिस भर्ती अभियान के दौरान अलग-अलग जिलों में फिजिकल टेस्ट के दौरान 12 अभ्यर्थियों की मौतों ने राज्य की हेमंत सरकार को घेर लिया है. राज्य सरकार पर लापरवाही के साथ-साथ कुप्रबंधन का आरोप लगाया जा रहा है. राज्य की विपक्षी भाजपा ने तो सिपाही दौड़ को मौत की दौड़ तक बता दिया है. राज्य में आने वाले महीनों में यानी इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सिपाही भर्ती के दौरान हुई मौतों को लेकर विपक्ष हेमंत सरकार पर हमलावर होने लगी है.

राज्य में 22 अगस्त 2024 को सिपाही भर्ती अभियान शुरू किया गया था. इस दौरान फिटनेस टेस्ट के दौरान 12 अभ्यर्थियों की मौत हो गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पलामू जिले में 4, गिरिडीह और हजारीबाग में 2-2, राजधानी रांची, पूर्वी सिंहभूम और साहिबगंज में एक-एक अभ्यर्थी की मौत हुई, जबकि 100 से ज्यादा अभ्यर्थी बेहोश हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. 

अभ्यर्थियों की मौतों ने खड़े किए सवाल

सिपाही भर्ती दौड़ में अभ्यर्थियों की मौतों ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए. राज्य की विपक्षी भाजपा समेत राज्य के लोगों ने इस तरह की महत्वपूर्ण प्रक्रिया की देखरेख करने में सोरेन प्रशासन के निर्णय और क्षमता पर सवाल उठाए. अभ्यर्थियों के लिए बुनियादी सुरक्षा सुनिश्चित करने में हेमंत सरकार की विफलता ने न केवल हजारों नौकरी चाहने वालों की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया, बल्कि प्रशानस की छवि को भी धूमिल किया है.

घटना को लेकर भाजपा ने झामुमो को दी चेतावनी

सिपाही भर्ती के दौरान 12 अभ्यर्थियों की मौत ने राजनीतिक तूफान को हवा दे दी. भाजपा ने घटना को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार पर नौकरी चाहने वालों को मौत के मुंह में धकेलने का आरोप लगाया. भाजपा नेताओं ने भर्ती अभियान को 'मौत की दौड़' बताते हुए पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग की. 

झारखंड भाजपा विधानसभा चुनाव के सह-प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी NHRC से मौतों की जांच करने का आग्रह करेगी. सरमा ने मांग की कि हेमंत सोरेन सरकार जान गंवाने वाले उम्मीदवारों के परिजन को 50 लाख रुपये और नौकरी देने की मांग की. उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर सरकार ऐसा करने में विफल होती है, तो झारखंड में सत्ता में आने के बाद भाजपा पीड़ित परिवारों को नौकरी देगी.