Maharashtra: स्कूल टीचरों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नया सर्कुलर जारी किया है. जिसके मुताबिक शिक्षकों के जींस और टीशर्ट पहनने पर रोक लगाई गई है. अब उन्हें जीन्स और टी-शर्ट पहनने की अनुमति नहीं होगी. यह फैसला पूरे महाराष्ट्र में छात्रों के बीच अध्यापकों की इमेज को बेहतर करने के लिए किया गया है.
प्रदेश के शिक्षा विभाग ने इसे सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया है. जिसका शिक्षक यूनियनों ने विरोध किया है. शिक्षकों का कहना है कि क्या पहनना है और क्या नहीं ये उनका व्यक्तिगत मामला है और उनका विशेषाधिकार का विषय है. महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष शिवनाथ दराडे ने सरकार के इस फैसले पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि शिक्षकों पर ड्रेस कोड थोपा नहीं जाना चाहिए. बेहतर होता अगर यह गाइडलाइंस शिक्षकों से सुझाव और चर्चा के बाद तय किया गया होता. आज के समय में शिक्षकों किसी तरह का ड्रेस कोड लागू करना गलत फैसला है.
वहीं मुंबई के एक स्कूल शिक्षक ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि "शिक्षक पहले से ही उचित पोशाक पहनने के प्रति सचेत हैं. स्कूल भी अपने तरीके से इसे सुनिश्चित करने में सावधानी बरत रहे हैं. राज्य को हस्तक्षेप करने और शिक्षकों के लिए ड्रेस-कोड घोषित करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं थी. स्कूलों और शिक्षकों को क्या पहनना है यह तय करने का अधिकार उनका निजी विशेषाधिकार हैं.
बीते 15 मार्च को जारी किये गए दिशा-निर्देश के मुताबिक महिला अध्यापक साड़ी, सलवार या चूड़ीदार और कुर्ता पहन सकती हैं. वहीं पुरुष अध्यापकों को शर्ट और ट्रा उजर पहनना होगा. इसके साथ शर्ट और पैंट पहनने का तरीका बेहद प्रोफेशनल दिखना चाहिए.शिक्षक शर्ट को इन करके स्कूल में आएं. इसमें भी ग्राफिक डिजाइन वाले शर्ट्स पहनने पर भी कड़ी पाबंदी रहेगी. राज्य सरकार का यह फैसला राज्य के सभी निजी, सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा.
सरकार ने अपने सर्कुलर में कहा है कि शिक्षकों को अपने पहनावे के प्रति अधिक सतर्क बनाना है क्योंकि स्कूल जाने वाले बच्चों पर अनुचित कपड़े पहनने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. वहीं शिक्षा विभाग की ओर से जारी सर्कुलर को लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ''ये दिशानिर्देश हैं और इन्हें शासनादेश नहीं माना जाना चाहिए. इसका अनुपालन न करने की स्थिति में कोई कार्रवाई करने पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है."