Jan Aushadhi Kendra: सरकार ने जब से प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) शुरू की है तब से लोगों को काफी राहत मिली है. इसके तहत 15,000 जनऔषधि केंद्र (JAKs) बनाने का लक्ष्य मार्च 2025 की समयसीमा से दो महीने पहले पूरा कर लिया है. 28 फरवरी 2025 तक देशभर में कुल 15,057 जनऔषधि केंद्र चल रहे हैं.
केंद्रीय केमिकल्स एंड फर्टीलाइजर्स मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने लोकसभा में इस बात की जानकारी दी है. उन्हें लिखित रूप में जवाब देते हुए बताया है कि सरकार ने 31 मार्च 2025 तक 15,000 जनऔषधि केंद्रों के लक्ष्य को जनवरी 2025 में ही पूरा कर लिया था. अब सरकार ने 31 मार्च 2026 तक जनऔषधि केंद्रों की संख्या 20,000 और 31 मार्च 2027 तक 25,000 करने का नया लक्ष्य रखा है.
इस योजना के तहत कई दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं. अब तक इस योजना में 2,047 दवाएं और 300 सर्जिकल प्रोडक्ट उपलब्ध कराए गए हैं. इन प्रोडक्ट्स में कुछ मेन बीमारियों जैसे हार्ट डिसीज, डायबिटीज, वायरस, कैंसर और पेट की बीमारियों के इलाज की दवाएं शामिल हैं. ये दवाएं अपने ब्रांडेड कंपनियों से 50% से 80% सस्ती होती हैं.
सरकार ने इसके लिए एक सेंट्रलाइज्ड आईटी-ड्रिवेन सिस्टम बनाया है, जिसमें गुरुग्राम में एक केंद्रीय गोदाम और बेंगलुरू, चेन्नई, सूरत और गुवाहाटी में चार हब हैं. इसके अलावा, 36 डिस्ट्रीब्यूटर्स की एक नेटवर्क और एक इंसेंटिव-लिंक्ड स्टॉकिंग सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि दवाओं की सप्लाई लगातार बनी रहे.
2024-25 के वित्तीय वर्ष में 28 फरवरी तक 1,767.18 करोड़ रुपये की दवाइयां बेची गईं, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 33% ज्यादा है. इसके साथ ही, पिछले 10 वर्षों में जनऔषधि केंद्रों के जरिए 6,975 करोड़ रुपये की दवाइयां बेची गईं, जिससे नागरिकों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में लगभग 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई.