Jammu Kashmir Assembly Elections: टेरर फंडिंग मामले में अंतरिम जमानत के बाद हाल ही में जेल से बाहर आए इंजीनियर राशिद ने गुरुवार को कहा कि अगर विपक्षी दल जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करने का वादा करता है, तो वह आगामी चुनावों में विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे. इस ब्लॉक ने घाटी को विशेष दर्जा दिया था.
बारामुल्ला निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने वाले राशिद ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, "अगर इंडिया गठबंधन हमें आश्वासन देता है कि वह दिल्ली में सत्ता में आने पर अनुच्छेद 370 को बहाल करेगा, तो मैं अपने हर उम्मीदवार से कहूंगा कि वे अपने समर्थकों का एक-एक वोट उनके लिए दें."
राशिद ने आगे कहा कि अगर भारत वैश्विक शक्ति बनने का सपना साकार करना चाहता है, तो उसे "कश्मीर मुद्दे का समाधान करना होगा."
उन्होंने कहा,"अगर भारत को विश्वगुरु बनना है, तो कश्मीर का समाधान करना होगा. अगर आपके पास (मोदी) कोई बेहतर समाधान है, तो कृपया हमें बताएं. आप कह रहे हैं कि दूसरा पक्ष (कश्मीर का) इस पक्ष में शामिल होना चाहता है. यह सच भी हो सकता है, लेकिन हम इसका पता कैसे लगा सकते हैं?"
बारामुल्ला के सांसद ने कहा कि अगर कश्मीर मुद्दे के समाधान की बात करना उन्हें अलगाववादी बनाता है तो क्या पूरा उत्तरी कश्मीर क्षेत्र जिसने उन्हें वोट दिया, अलगाववादी हो जाएगा.
उन्होंने कहा, "मैं यह साफ करना चाहता हूं कि हम न तो भारत के दुश्मन हैं और न ही पाकिस्तान के एजेंट. हम अपनी अंतरात्मा के एजेंट हैं. मोदी ने 5 अगस्त, 2019 को हमसे सब कुछ छीन लिया - अवैध और असंवैधानिक रूप से."
जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए राशिद ने कहा, "370 वापस कैसे आएगा? आपको लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन करना होगा और लाठियों से मारे जाने के लिए तैयार रहना होगा. लेकिन वे (नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी) ऐसा नहीं कर सकते. जब अमित शाह ने कहा कि भाजपा सरकार के अलावा कोई भी जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस नहीं दिला सकता, तो उन्होंने यह कहने की भी हिम्मत नहीं की कि हम इसके लिए लड़ेंगे. इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को हिंसक होना होगा. गांधीजी ने अहिंसा के जरिए यह किया था."
राशिद इस साल की शुरुआत में हुए 2024 के संसदीय चुनावों में उमर अब्दुल्ला के खिलाफ बारामुल्ला से विजयी हुए. 2017 के आतंकी-वित्तपोषण मामले के सिलसिले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद से वे 2019 से जेल में बंद हैं.
उनका नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली की जांच के दौरान सामने आया, जिसे एनआईए ने कश्मीर में आतंकी समूहों और अलगाववादियों को कथित तौर पर वित्तपोषित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. एनआईए ने इस मामले के सिलसिले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन सहित कई व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.