Jammu Kashmir Elections: भारतीय जनता पार्टी (BJP) का लंबे समय से ख्वाब है कि वह जम्मू-कश्मीर में अपने दम पर सरकार बना पाए. पिछली सरकार में वह पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (PDP) की जूनियर पार्टनर के तौर पर शामिल थी लेकिन अब तक जम्मू-कश्मीर में कभी भी उसकी अकेले की सरकार नहीं बनी है. इस साल के विधानसभा चुनाव में अभी तक जो बीजेपी की रणनीति दिख रही है उससे खुद उसी के स्थानीय नेता कन्फ्यूज हैं. टिकट के बंटवारे के बाद कई नेता पार्टी छोड़ रहे हैं तो कुछ को समझ ही नहीं आ रहा है कि उन्हें करना क्या है. पहले चरण में कुल 24 सीटों पर चुनाव होने हैं. इस 24 में से 18 सीटें कश्मीर घाटी की हैं लेकिन बीजेपी ने इनमें से सिर्फ 8 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं, ऐसे में कार्यकर्ता हताश हैं कि वह चुनाव में क्या करें.
बीजेपी ने अभी तक कुल 44 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. इसमें से 29 उम्मीदवार दूसरे और तीसरे चरण के हैं. इन 29 में से भी सिर्फ एक उम्मीदवार ऐसा है जो घाटी के लिए है. रोचक बात यह है कि इसी साल हुए लोकसभा के चुनाव में बीजेपी ने कश्मीर की तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार ही नहीं उतारे थे. पहले चरण के लिए 18 सितंबर को वोटिंग होनी है और नामांकन दाखिल हो चुके हैं. इससे स्पष्ट है कि बीजेपी कश्मीर घाटी की इन 8 सीटों पर चुनाव ही नहीं लड़ रही है. पार्टी ने किसी से गठबंधन भी नहीं किया है ऐसे में कार्यकर्ताओं में निराशा और बढ़ गई है.
कश्मीर घाटी के कुछ इलाकों में बीजेपी के पास गिने-चुने कार्यकर्ता ही हैं. कुछ नेताओं का कहना है कि उन्हें चुनाव की तैयारी करने को कहा गया था लेकिन अब पार्टी ने उन्हें निराश किया है. उन सीटों के कार्यकर्ताओं में भी हताशा झलक रही है जहां बीजेपी ने दलबदलुओं को तरजीह दी है. दलबदलुओं को टिकट दिए जाने का ही नतीजा था कि टिकट बंटवारा होते ही हंगामा हो गया और कई प्रमुख नेताओं ने बीजेपी का साथ भी छोड़ दिया. इन नेताओं की शिकायत है कि मुश्किल वक्त में उन्होंने बीजेपी का साथ दिया लेकिन टिकट देने की बारी आई तो दलबदलुओं को तरजीह दी गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर में बीजेपी के एक नेता कहते हैं, 'जब हमने 15 साल पहले बीजेपी जॉइन की थी तब हमारी खूब आवभगत हुई. अब जब हमने इस पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचकर खड़ा कर दिया है तो हमें किनारे किया जा रहा है.' बता दें कि फैयाज अहमद भट, मंजूर कुलगामी और बिलाल अहमद जैसे नेता लंबे समय से घाटी में बीजेपी का परचम बुलंद करते रहे हैं लेकिन अब वे पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं. बताते चलें कि बीजेपी ने जिन 8 सीटों पर कैंडिडेट नहीं उतारे हैं वे लंबे समय से आतंकवाद का केंद्र रही हैं. घाटी की जिन सीटों पर टिकट दिए भी गए हैं, वहां उन्हीं को टिकट मिला है जो हाल ही में किसी दूसरी पार्टी से आए हैं.
इसका नतीजा यह हुआ है कि कई पुराने नेता टिकट बंटवारे के तुरंत बाद बीजेपी के अलग हो गए हैं. कुछ महीने पहले ही बीजेपी में आए शौकत गयूर को टिकट दिए जाने के विरोध में पुलवामा से बीजेपी के डिस्ट्रिक्ट डेवलमेंट काउंसिल के इकलौते सदस्य मिन्हा लतीफ ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है. आरोप तो ऐसे भी हैं कि बीजेपी में गुटबाजी इतनी हावी है कि मजबूत गुटों के नेता मनचाहे लोगों को टिकट दिलवा ले रहे हैं. अब कश्मीर घाटी के नेता सामूहिक इस्तीफे की धमकी दे रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करना भी बेहद मुश्किल हो रहा है.