जम्मू और कश्मीर में एक बार फिर गुपकार गठबंधन बनता नजर आ रहा है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इशारा किया है कि वे विधानसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को समर्थन देने के लिए तैयार हैं. शर्त बस इतनी सी है कि दोनों पार्टियों को पीडीपी का एजेंडा मानना होगा. अगर ऐसा होता है तो जिन 'परिवारों' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कश्मीर के विकास के लिए 'विलेन' कहते रहे हैं, वे ही एक बार फिर घाटी में साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं.
महबूबा मुफ्ती ने रविवार को संभावित गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लोकसभा चुनावों से बीजेपी सरकार को जवाब दिया है कि जम्मू-कश्मीर में मुद्दे हैं और अनुच्छेद 370 को हटाने से यह और जटिल हो गया है. जब भी हमने किसी पार्टी के साथ गठबंधन किया, तो हमारा एक मकसद था, एक एजेंडा था, हमें क्या करना है. इसलिए मैंने कहा कि अगर वे हमारे एजेंडे को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, तो हम उनका समर्थन करने के लिए तैयार हैं.'
इससे ठीक एक दिन पहले महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा पूर्ण राज्य की मांग या सीट बंटवारे के बारे में नहीं है, बल्कि इसका मकसद बड़ा है. पीडीपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'मेरे लिए, यह चुनाव राज्य का दर्जा या सीट बंटवारे के बारे में नहीं है. हमारा एक बड़ा लक्ष्य है. हम सम्मान के लिए और समाधान के लिए लड़ रहे हैं.'
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि गठबंधन और सीट बंटवारा दूर की बात है. उन्होंने इशारा किया है कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस उनके एजेंडे को अपनाने के लिए तैयार हैं, तो वह उनका समर्थन करेंगी, क्योंकि कश्मीर की समस्या का समाधान किसी भी चीज से ज्यादा जरूरी है. अब घाटी में ऐसा लग रहा है कि गुपकार गठबंधन पार्ट-2 बन जाएगा.
गुपकार गठबंधन अभी बिखर गया है. यह अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ किया गया एक राजनीतिक गठबंधन है. यह गठबंधन जम्मू कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और स्वायत्तता की मांग करता है. इसके गठबंधन फारूक अब्दुल्ला थे. यह गठबंधन, लोकसभा चुनावों के दौरान बिखर गया था. कश्मीर पर, कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का एजेंडा एक ही है. ऐसे में हो सकता है कि गुपकार 2.0 अस्तित्व में आ जाए.
- अनुच्छेद 370 और 35 ए बहाल होगा.
- भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक वार्ता की शुरुआत.
- कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी की कोशिशें.
जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) में साल 2014 में आखिरी बार विधानसभा चुनाव हुए थे. पीडीपी ने 28 विधानसभा सीटें, भारतीय जनता पार्टी ने 25 विधानसभा सीटें, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें हासिल की थीं. बीजेपी और पीडीपी का बेमेल गठबंधन हुआ था और साल 2018 तक ये सरकार चली. जब तत्कालीन सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हुआ तो महबूबा मुफ्ती की राजनीतिक अनबन बीजेपी के साथ ठन गई. बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया.
जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव 18 सितबंर से 1 अक्टूबर के बीच में होंगे. ये चुनाव 3 चरणों में संपन्न कराए जाएंगे. वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी. कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद होने वाले पहले विधानसभा चुनावों पर सबकी नजरें टिकी हैं.