नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने तीन प्रस्तावित विधेयकों को जांच के लिए गृह मामलों की स्थायी समिति को भेज दिया है. यह बिल ब्रिटिश युग के आपराधिक कानूनों को बदलने से जुड़ा हुआ विधेयक है. राज्यसभा ने स्थायी समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है.
राज्यसभा द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि संसद सदस्यों को सूचित किया जाता है कि 18 अगस्त 2023 को राज्यसभा के सभापति ने लोकसभा अध्यक्ष के परामर्श से भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को प्रस्तुत किया. लोकसभा में और गृह मामलों पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति को तीन महीने के भीतर जांच और रिपोर्ट के लिए लंबित है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को 11 अगस्त को संसद के निचले सदन लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया गया था. सदन के पटल पर बिल पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन तीन नए कानूनों की आत्मा नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा.
बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि "ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना था. सरकार इन दोनों मूलभूत पहलुओं में बदलाव लाने जा रही हैं. इन तीन नए कानूनों की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा. उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि न्याय देना होगा और इस प्रक्रिया में अपराध की रोकथाम की भावना पैदा करने के लिए जहां आवश्यक होगा वहां दंड दिया जाएगा"
बिल में इन बड़े बदलावों का जिक्र
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि आईपीसी पर नया बिल देशद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा.नई आईपीसी में अलगाव,सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों, अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों पर एक नया अपराध भी जोड़ा गया है.
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और राज्य के खिलाफ अपराधों को प्राथमिकता दी गई है. आतंकवादी कृत्यों और संगठित अपराध के नए अपराधों को निवारक दंड के साथ विधेयक में जोड़ा गया है.
अलगाव,सशस्त्र विद्रोह,विध्वंसक गतिविधियों,अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्यों पर नए अपराध जोड़े गए हैं और चुनाव के दौरान मतदाताओं को रिश्वत देने पर एक साल की कैद है.
इस बिल के कानून बन जाने के बाद 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा. 90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी.चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 में प्रावधान है कि सबूत में इलेक्ट्रॉनिक रूप से दी गई कोई भी जानकारी शामिल है जो गवाहों,आरोपियों,विशेषज्ञों और पीड़ितों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पेश होने की अनुमति देगा.यह साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड की अनुमति प्रदान करता है और इसका कानूनी प्रभाव और वैधता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगी.
गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा. इसके साथ ही साथ गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी. वहीं 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.
सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के अंदर अनुमति देनी जरूरी है. घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्क की जाएगी. संगठित अपराध में कठोर सजा सुनाए जाने का प्रावधान है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में बोलते हुए कहा था कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों की ओर से बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही है. ऐसे में तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा. इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है. इसीलिए हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जो धाराएं 7 साल या अधिक जेल की सजा का प्रावधान करती हैं. उन सभी मामलों के तहत फोरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा.
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