J&K आरक्षण और पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश, जानें बिल से जुड़े क्या है विशेष प्रावधान?

गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन अमेंडमेंट बिल और जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन बिल लोकसभा में पेश किया है.

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन अमेंडमेंट बिल और जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन बिल लोकसभा में पेश किया है. रिजर्वेशन एक्ट से राज्य सरकार की नौकरियों, कॉलेज एडमिशन में आरक्षण व्यवस्था लागू हो सकेगी. वहीं जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 की मदद से जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पुनर्गठन किया जाएगा. इसकी मदद से जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटें 83 से बढ़कर 90 हो जाएंगी. इसके साथ विधानसभा में सात सीटें अनुसूचित जाति और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए भी आरक्षित की जाएंगी. 

जानें क्या है जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन अमेंडमेंट बिल? 

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 में  में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान है. विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग शामिल हैं, जिनमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर द्वारा सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े घोषित किए गए गांवों में रहने वाले लोग, वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले लोग शामिल हैं. आरक्षण बिल में गुज्जरों के साथ पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति जा दर्जा देने का प्रावधान है. 

जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन बिल से विधानसभा में बढ़ेंगी सीटें

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 को विचार और पारित करने के लिए लोकसभा में पेश किया गया. यह विधेयक 26 जुलाई, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था. यह विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करता है.  इसमें अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित हैं. 

जानें रिऑर्गेनाइजेशन बिल में क्या है प्रावधान? 

विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधान सभा में नामांकित कर सकते हैं. नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए. प्रवासियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी या जम्मू और कश्मीर राज्य के किसी अन्य हिस्से से चले गए और राहत आयुक्त के साथ पंजीकृत हैं. प्रवासियों में वे व्यक्ति भी शामिल हैं, जो किसी सरकारी कार्यालय में सेवा में हैं, जो किसी काम के लिए चले जाने से या जिस स्थान से वह प्रवासित हुए हैं उस स्थान पर अचल संपत्ति रखने के कारण पंजीकृत नहीं हैं, लेकिन अशांत परिस्थितियों के कारण वहां रहने में असमर्थ हैं.

पीओके से विस्थापित एक सदस्य विधानसभा में होगा नामित  

विस्थापित व्यक्तियों से तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में अपने निवास स्थान को छोड़ चुके हैं या विस्थापित हो गए हैं और ऐसे स्थान से बाहर रहते हैं. ऐसा विस्थापन 1947-48, 1965 या 1971 में नागरिक अशांति या ऐसी गड़बड़ी की आशंका के कारण होना चाहिए था. इनमें ऐसे व्यक्तियों के उत्तराधिकारी भी शामिल हैं. विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित कर सकते हैं.