नई दिल्ली: शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के अपने मुखपत्र सामना में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित करने के केंद्र सरकार के फैसले पर निशाना साधा है. सामना के संपादकीय में उन पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का जिक्र किया गया है, जो डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ सामने आए थे.
सामना ने अपने संपादकीय लेख में लिखा "केंद्र सरकार ने आखिरकार नवनिर्वाचित राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ को भंग कर दिया है. देर ही सही, लेकिन मोदी सरकार को ये सद्बुद्धि आ गई ये महत्वपूर्ण बात है. साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम ऊंचा करने वाले अन्य पहलवान एक साल से बृजभूषण की मनमानी के खिलाफ लड़ रहे हैं और महिला पहलवानों के यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. उन्होंने पीड़ित पहलवानों को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन मोदी सरकार के कानों के परदे जरा भी नहीं कांपे. पिछले साल दिल्ली के जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन को दिल्ली पुलिस ने जबरन उखाड़कर रख दिया था. आधी रात को घुसकर पुलिस ने बल प्रयोग कर पहलवानों को उठाया और उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश की. यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार के आशीर्वाद और उनके आदेश के चलते ही दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई की थी."
सामना में आगे लिखा गया है "ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की. बजरंग पुनिया ने पद्मश्री अवॉर्ड सीधे प्रधानमंत्री आवास के बाहर सड़क पर रखकर विरोध जताया. पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भी पद्मश्री लौटाने का एलान किया. राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के विवाद की धूल का फिर से आंखों में जाना आगामी लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में मोदी सरकार कैसे बर्दाश्त कर सकती थी? पिछले एक साल से पहलवानों की आपत्तियों और उनके आंदोलन को लेकर भले ही केंद्र सरकार नींद में रहने का नाटक करती रही. विवादास्पद बृजभूषण पर रखा उनका वरदहस्त कायम ही रहा, लेकिन अब लोकसभा चुनाव के सिर पर होने के चलते यह विवाद महंगा पड़ेगा, इसका एहसास होते ही मोदी सरकार की नींद खुल गई और राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया, यह स्पष्ट है. WFI का निलंबन पहलवानों के लिए एक बड़ी जीत है, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहना चाहिए और उन्हें न्याय के लिए लड़ना बंद नहीं करना चाहिए."
विरोध प्रदर्शन को बढ़ते देख केंद्रीय खेल मंत्रालय ने बीते रविवार को शीर्ष कुश्ती संस्था को निलंबित करने की घोषणा की. पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण के करीबी नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह सहित महासंघ के प्रमुख पदाधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया.