Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को जाति को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की प्रथा पर कड़ा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि वास्तविक सामाजिक उत्थान के बजाय, चुनावी लाभ के लिए समाज को कृत्रिम रूप से विभाजित किया जाता है. बता दें कि अमरावती में आयोजित डॉ. पंजाबराव उर्फ भाऊसाहेब देशमुख मेमोरियल अवार्ड समारोह में गडकरी ने कहा कि लोग जातिवादी नहीं होते, बल्कि नेता अपने स्वार्थ के लिए जातिवाद को बढ़ावा देते हैं.
'कौन ज्यादा पिछड़ा' – इस होड़ को खत्म करने की जरूरत
आगे नितिन गडकरी ने कहा कि आज राजनीतिक गलियारों में यह होड़ मची हुई है कि 'कौन ज्यादा पिछड़ा है'. उन्होंने सामाजिक असमानता को खत्म करने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि जातिगत भेदभाव को समाप्त करने की प्रक्रिया "स्वयं से" शुरू होनी चाहिए.
राजनीति की नई परिभाषा जरूरी
बता दें कि गडकरी ने राजनीति की पुनर्परिभाषा की अपील करते हुए कहा कि अब जातिगत वोट बैंक की रणनीति से आगे बढ़कर विकास को प्राथमिकता देने का समय आ गया है. उन्होंने कहा कि नेता चुनावी लाभ के लिए अपने समुदायों को अधिक पिछड़ा साबित करने में लगे रहते हैं, जिससे समाज में और अधिक बंटवारा होता है.
'मैं अपनी शर्तों पर राजनीति करूंगा'
इसके अलावा गडकरी ने आगे कहा कि उन्होंने जब चुनाव लड़ा तो स्पष्ट शब्दों में जनता से कहा, ''मैं अपनी शर्तों पर राजनीति करूंगा, चाहे आप मुझे वोट दें या न दें.'' उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति का मकसद केवल चुनाव जीतना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज सेवा और विकास पर केंद्रित होना चाहिए.
आदिवासी क्षेत्रों में अपने अनुभव साझा किए
हालांकि, नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र के मेलघाट क्षेत्र में काम करने के अपने अनुभवों को साझा किया, जहां उन्होंने गंभीर कुपोषण, गरीबी और बुनियादी सुविधाओं की कमी को बेहद करीब से देखा. उन्होंने कहा कि आजादी के दशकों बाद भी जब हजारों बच्चे कुपोषण से मर रहे थे और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, तो यह देखकर उनका दिल टूट गया था.