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इजराइल को हथियार सप्लाई करने के मुद्दे पर बंट गई NDA; विपक्ष को मिला JDU का साथ, कहा- हम नरसंहार में सहभागी नहीं बन सकते

इजराइल की ओऱ से गाजा में किए जा रहे नरसंहार में भारत भागीदार नहीं हो सकता, इसलिए मोदी सरकार को इजराइल को हथियार और गोला बारूद सप्लाई नहीं करना चाहिए. विपक्ष की इस मांग को एनडीए में शामिल जनता दल यूनाइटेड का साथ मिला है. जेडीयू नेता ने विपक्ष के साथ मिलकर केंद्र से हथियारों की आपूर्ति रोकने की मांग की है.

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Edited By: India Daily Live
Israel arms supplying issue
Courtesy: social media

भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के एक सीनियर पदाधिकारी ने रविवार को विपक्षी दलों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं के साथ मिलकर केंद्र से इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति रोकने का आग्रह किया. एक संयुक्त बयान में नेताओं ने इजरायल की ओर से फिलिस्तीनी लोगों के जघन्य नरसंहार की निंदा की और कहा कि भारत इसमें सहभागी नहीं हो सकता.

जेडीयू की ओर से ये फैसला नई दिल्ली में अल कुद्स के सांसदों के संघ के महासचिव मोहम्मद मकरम बलावी के साथ बैठक के बाद आया. बैठक में बलावी ने इजरायल की ओर से अंतरराष्ट्रीय कानून के कथित उल्लंघन के बारे में विस्तार से बात की. इसके बाद केंद्र सरकार से इजराइल को हथियार सप्लाई न करने का बयान जारी किया गया. बयान पर जेडी(यू) महासचिव केसी त्यागी और सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान के अलावा, सपा के लोकसभा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी, पूर्व सांसद और राष्ट्रवादी समाज पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद अदीब, आप सांसद संजय सिंह, आप विधायक पंकज पुष्कर, कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल और कांग्रेस के पूर्व लोकसभा सांसद कुंवर दानिश अली ने हस्ताक्षर किए.

बयान में नेताओं ने क्या कहा?

बयान में कहा गया है कि हम स्पष्ट रूप से ज़ायोनी आक्रामकता और इज़राइल की ओर से फिलिस्तीनी लोगों के जघन्य नरसंहार की निंदा करते हैं. ये क्रूर हमला न केवल मानवता का अपमान है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कानून और न्याय और शांति के सिद्धांतों का भी घोर उल्लंघन है. केंद्र से इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति रोकने का आग्रह करते हुए पार्टियों ने कहा कि एक ऐसे राष्ट्र के रूप में जिसने हमेशा न्याय और मानवाधिकारों का समर्थन किया है, भारत इस नरसंहार में भागीदार नहीं हो सकता.

महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हवाला देते हुए हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि भारत को इस बात पर गर्व है कि वह 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश था. ये भी कहा गया कि फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय, संप्रभुता और मुक्ति के अधिकार का लगातार समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि हम फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता में खड़े हैं. भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यूएनएससी प्रस्तावों को लागू करने और इस आक्रामकता को समाप्त करने और फिलिस्तीन में चल रहे नरसंहार के पीड़ितों के लिए शांति और न्याय सुनिश्चित करने के लिए तेजी से कार्रवाई करने का आह्वान करते हैं.

पिछले अक्टूबर में शुरू हुए जंग पर भारत ने अपनाया है संतुलित रुख

पिछले अक्टूबर में शुरू हुए संघर्ष के बाद से भारत ने इस पर संतुलित रुख अपनाया है. भारत ने हमास की निंदा करते हुए इजरायल से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान करने का भी आग्रह किया है. पिछले अक्टूबर में, भारत ने इजरायल-हमास युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान से खुद को दूर रखा. विपक्ष की ओर से सरकार पर निशाना साधे जाने के बाद, भाजपा ने कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की स्थिति दृढ़ और सुसंगत है और तर्क दिया कि जो लोग आतंकवाद का पक्ष लेना चुनते हैं, उन्हें अपने जोखिम पर ऐसा करना चाहिए.

इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर जेडी(यू) की स्थिति पर त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि जनता पार्टी के समय से ही हम फिलिस्तीन के समर्थन में हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी समेत भारत सरकार ने भी फिलिस्तीन के मुद्दे को समर्थन दिया है. हम चाहते हैं कि गाजा में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की हत्या बंद हो और हम ये भी चाहते हैं कि इजराइल और फिलिस्तीन के बारे में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का सम्मान किया जाए.

इस मुद्दे पर कांग्रेस का नपा-तुला रुख रहा है. जुलाई में प्रियंका गांधी ने संघर्ष को बर्बरता बनाम सभ्यता बताया था. उन्होंने एक्स पर लिखा था कि अब केवल नागरिकों, माताओं, पिताओं, डॉक्टरों, नर्सों, सहायताकर्मियों, पत्रकारों, शिक्षकों, लेखकों, कवियों, सीनियर सिटीजन और उन हजारों मासूम बच्चों के लिए आवाज़ उठाना ही काफी नहीं है, जो गाजा में हो रहे भयानक नरसंहार में दिन-ब-दिन मारे जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ये हर सही सोच वाले व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है, जिसमें वे सभी इजरायली नागरिक शामिल हैं जो नफरत और हिंसा में विश्वास नहीं करते हैं. दुनिया की हर सरकार की जिम्मेदारी है कि वे इजरायल सरकार के नरसंहार की कार्रवाई की निंदा करें और उसे रोकने के लिए मजबूर करें. उनकी हरकतें एक ऐसी दुनिया में अस्वीकार्य हैं जो सभ्यता और नैतिकता का दावा करती है.

प्रियंका गांधी ने इजराइल पर अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का लगाया था आरोप

पिछले अक्टूबर में भी प्रियंका ने इज़रायल पर हर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. उन्होंने उस समय कहा था कि ऐसा कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है जिसका उल्लंघन न हुआ हो. ऐसी कोई सीमा नहीं है जिसका उल्लंघन न हुआ हो. ऐसा कोई नियम नहीं है जिसका उल्लंघन न हुआ हो...आखिर मानवता कब जागेगी? कितनी जानें जाने के बाद? कितने बच्चों की बलि देने के बाद? क्या इंसानियत की चेतना बची हुई है? क्या यह कभी थी? गाजा में 7,000 लोगों की हत्या के बाद भी खून-खराबे और हिंसा का सिलसिला नहीं रुका है. इन 7,000 लोगों में से 3,000 मासूम बच्चे थे.