दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जेल में हैं. वे वहीं से फ्लाइल पर साइन कर रहे हैं. इस बीच उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पूछा कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जेल से आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर कोई रोक है. दरअसल, यह सवाल जस्टिस ए एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एक दोषी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा. उसने ये आरोप लगाया गया था कि उसकी सजा माफ करने में देरी हो रही है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने अभी तक उस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करना चाहती है क्योंकि इससे कई मामले प्रभावित होंगे. न्यायमूर्ति ओका ने पूछा, 'क्या मुख्यमंत्री को जेल से अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए कोई प्रतिबंध आदेश है? हम इसकी जांच करना चाहते हैं क्योंकि इससे सैकड़ों मामले प्रभावित होंगे. मुख्यमंत्री के संबंध में न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के कारण बहुत सारी फाइलें वहां होंगी. क्या मुख्यमंत्री को ऐसी महत्वपूर्ण फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोकने के लिए कोई प्रतिबंध है?'
उन्होंने कहा कि ये मामले लंबित नहीं रह सकते. उन्होंने कहा कि यदि जेल में फाइलों पर साइन करने में कोई बाधा उत्पन्न होती है, तो न्यायालय को आगे की देरी को रोकने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना पड़ सकता है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक कोई भी डिक्री या आदेश पारित करने की शक्ति प्रदान करता है.
सीएम अरविंद केजरीवाल कथित शराब घोटाले मामले में 21 मार्च से जेल में बंद हैं. ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया था. इस केस में केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल चुकी है. ईडी केस में जमानत से पहले सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.