म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2025 में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र की स्थिति पर पश्चिमी दृष्टिकोण से असहमत होते हुए भारत के लोकतंत्र की ताकत को उजागर किया. यह बयान उन्होंने एक और दिन मतदान करने के लिए जीवित रहें, लोकतांत्रिक लचीलेपन को मजबूत करें' विषय पर एक पैनल चर्चा के दौरान दिया.
इस चर्चा में उनके साथ नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनस गाहर स्टॉर, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन और वारसॉ के मेयर राफल ट्र्ज़ाकोव्स्की भी शामिल थे.
VIDEO | Here's what External Affairs Minister S Jaishankar (@DrSJaishankar) said answering a question about whether democracy is in trouble worldwide.
— Press Trust of India (@PTI_News) February 15, 2025
"The mark on my index finger is a mark of a person who just voted. We just had an election in my state. Last year, we had a… pic.twitter.com/OCXHfJkMJ4
भारत में लोकतंत्र की ताकत
जब एक सवाल के जवाब में जयशंकर से पश्चिमी लोकतंत्र के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "मैं इसे एक ऐसे पैनल में एक आशावादी के रूप में पेश करूंगा, जो अपेक्षाकृत निराशावादी हो सकता है. भारत में पिछले साल हुए राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 70 करोड़ वोट डाले गए, और हम एक ही दिन में मतगणना करते हैं. हमारे लिए लोकतंत्र वास्तव में कार्यान्वित होता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के चुनावों में करीब दो तिहाई योग्य मतदाताओं ने अपना वोट डाला, जो लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाता है.
वैश्विक लोकतंत्र के संकट पर असहमत
जयशंकर ने यह भी कहा कि वह इस विचार से असहमत हैं कि लोकतंत्र वैश्विक रूप से संकट में है. उन्होंने कहा,"मैं इस बात से असहमत हूं कि लोकतंत्र वैश्विक रूप से संकट में है. हम अच्छी तरह से जी रहे हैं, अच्छे से वोट कर रहे हैं और हमारे लोकतंत्र के बारे में हम आशावादी हैं. उनका मानना है कि कुछ देशों में लोकतंत्र ठीक से काम कर रहा है, जबकि कुछ में समस्याएं हैं, और इन समस्याओं पर ईमानदारी से चर्चा करने की आवश्यकता है.
लोकतंत्र और खाद्य सुरक्षा
अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन के उस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कि "लोकतंत्र पेट में खाना नहीं डालता," जयशंकर ने कहा, "मेरे क्षेत्र में लोकतंत्र सचमुच भोजन देता है. हम आज 800 मिलियन लोगों को पोषण और खाद्य सहायता प्रदान कर रहे हैं, और उनके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न हिस्सों में लोकतंत्र पर अलग-अलग चर्चाएं हो रही हैं, और यह सार्वभौमिक घटना नहीं है.
वैश्विक वैश्वीकरण के मॉडल की आलोचना
जयशंकर ने यह भी कहा कि वैश्विक लोकतंत्र की समस्याओं का एक बड़ा कारण पिछले 25-30 वर्षों से अपनाए गए वैश्विकरण के मॉडल से जुड़ा है. उन्होंने कहा, "कुछ समस्याएं वैश्विक मॉडल की वजह से हैं जो हमने पिछले दशकों में अपनाया है.
भारत के लोकतंत्र की स्थिरता
जयशंकर ने भारत के लोकतंत्र के मॉडल की स्थिरता को उजागर किया, यह बताते हुए कि भारत ने अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखा है, भले ही उसने कई चुनौतियों का सामना किया है. उन्होंने पश्चिमी देशों से अपील की कि यदि वे चाहते हैं कि लोकतंत्र सफल हो, तो उन्हें अपने क्षेत्रों से बाहर भी सफल लोकतांत्रिक मॉडलों को स्वीकार करना चाहिए.