IRS से CM... अब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश; कैसा रहा केजरीवाल का राजनीतिक सफर?
Kejriwal Political Journey: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अपने इस्तीफे की घोषणा की है. उन्होंने रविवार को दिल्ली में आम आदमी पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अगले दो दिनों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा. उन्होंने ये भी बताया कि अगले दो दिनों में ही विधायक दल की बैठक में दिल्ली नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा. आइए, जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर कैसा रहा.
Kejriwal Political Journey: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की कि वे अगले दो दिनों में राष्ट्रीय राजधानी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. 56 साल के राजनेता का ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक्साइज पॉलिसी केस में उन्हें जमानत दिए जाने के दो दिन बाद आया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि वे मुख्यमंत्री पद तभी स्वीकार करेंगे जब आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में जनता उनकी ईमानदारी पर मुहर लगाएगी.
केजरीवाल ने कहा कि हम अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए जनता की अदालत में जाएंगे. केजरीवाल ने कहा कि फरवरी के बजाए नवंबर में दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराए जाएं. केजरीवाल ने IRS अफसर से अपने करियर की शुरुआत की और बाद अन्ना हजारे आंदोलन से जुड़कर राजनीतिक करियर की शुरूआत की.
केजरीवाल का राजनीतिक जीवन 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में उनकी भूमिका से शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य जन लोकपाल विधेयक पारित करना था.
आंदोलन और स्वच्छ शासन के आह्वान से प्रेरित होकर केजरीवाल ने 2012 में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना की. पार्टी ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और 70 में से 28 सीटें जीतीं, जिसके परिणामस्वरूप केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
हालांकि, जन लोकपाल विधेयक पारित करने में 'कठिनाइयों' के कारण उन्होंने 49 दिनों के बाद इस्तीफा दे दिया. बाद में, AAP ने 2015 के चुनावों में भारी जीत हासिल की, 70 में से 67 सीटें हासिल कीं और केजरीवाल फिर से चुने गए.
केजरीवाल 2020 में फिर से जीते और नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए.
2014 में केजरीवाल ने वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. सार्वजनिक नियुक्तियों और अधिकार क्षेत्र की जिम्मेदारियों सहित विभिन्न मुद्दों पर उनका अक्सर मोदी सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से टकराव होता रहा है.
मुख्यमंत्री के तौर पर केजरीवाल को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पानी, बिजली और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का श्रेय दिया जाता है. उनकी सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक पहल की शुरुआत की, जिससे दिल्ली भर में सुलभ स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई गई.
केजरीवाल प्रशासन को प्रति परिवार हर महीने 20,000 लीटर तक मुफ्त पानी देने तथा उपयोगिताओं को अधिक किफायती बनाने के लिए बिजली दरों में सब्सिडी देने का श्रेय भी दिया जाता है.
राजनीति में प्रवेश करने से पहले, केजरीवाल, जो भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के पूर्व अधिकारी हैं, सूचना के अधिकार (आरटीआई) आंदोलन और शासन सुधारों की वकालत में सक्रिय रूप से शामिल थे. 2006 में उभरते नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने के बाद वे चर्चा में आए थे.