उत्तराखंड में नए समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए 15 दस्तावेजों की एक विस्तृत सूची, एक पुजारी से एनओसी, 500 रुपये का पंजीकरण शुल्क और पिछले संबंधों का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक नियमों में से एक है. उत्तराखंड नागरिक संहिता को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है ने लिव-इन पार्टनर्स के लिए जिला रजिस्ट्रार के पास खुद को पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया है या छह महीने तक की जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है .
हाल ही में लॉन्च किए गए UCC पोर्टल, ucc.uk.gov.in का भाग 3, लिव-इन रिलेशनशिप से संबंधित है . पंजीकरण ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से हो सकता है और 16 पेज का फॉर्म भरकर जमा करना होगा. ऑनलाइन विकल्प चुनने वालों को अपने आधार के साथ पंजीकरण करना होगा. लिव-इन जोड़ों को निवास का प्रमाण और अपनी आयु का प्रमाण देना होगा. यदि एक या दोनों साथी 21 वर्ष से कम आयु के हैं, तो उनके माता-पिता को सूचित किया जाएगा.
मकान मालिकों पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है
नियमों के अनुसार मकान मालिकों के लिए किराए के समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले अपने किरायेदारों के पंजीकरण प्रमाणपत्रों को सत्यापित करना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर मकान मालिकों को 20,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. नागरिक संहिता के नियम 20(8)(सी) में कहा गया है, किराए के समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मकान मालिक के लिए लिव-इन रिलेशनशिप के प्रमाण पत्र/अस्थायी प्रमाण पत्र की एक प्रति मांगना अनिवार्य होगा. यह प्रमाण पत्र किराया समझौते का हिस्सा होगा.
रिश्ते की स्थिति का सबूत देना होगा
लिव-इन जोड़ों को भी अपने पिछले रिश्ते की स्थिति का सबूत प्रस्तुत करना होगा. तलाकशुदा लोगों के लिए, तलाक का अंतिम आदेश और विवाह विच्छेद का सबूत आवश्यक है. यदि उनका विवाह रद्द कर दिया गया था, तो विवाह की शून्यता का अंतिम आदेश प्रस्तुत करना आवश्यक है. अगर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाला व्यक्ति विधवा या विधुर है, तो उसे अपने जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा. अगर व्यक्ति के पिछले लिव-इन पार्टनर की मृत्यु हो गई है, तो भी रजिस्ट्रार को मृत्यु प्रमाण पत्र देना होगा.
समान नागरिक संहिता के तहत लगभग 74 निषिद्ध रिश्तों की एक विस्तृत सूची भी है. व्यक्ति माता, पिता, दादी, बेटी, बेटे, बेटे की विधवा, बेटी के बेटे की विधवा, बहन, बहन की बेटी, भाई की बेटी, मां की बहन, पिता की बहन आदि के साथ लिव-इन में नहीं रह सकते. अगर यह निषिद्ध रिश्तों के दायरे में आता है, तो नियमों के अनुसार समुदाय के मुखिया या धार्मिक नेता द्वारा जारी प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. फॉर्म में रिश्ते को प्रमाणित करने वाले धार्मिक नेता का पूरा नाम, पता और मोबाइल नंबर देना होता है. इसके अलावा, यदि लिव-इन में रहने वाले दम्पतियों का कोई बच्चा है या उन्होंने कोई बच्चा गोद लिया है, तो उन्हें जन्म प्रमाण-पत्र या दत्तक-ग्रहण प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा.