हैदराबाद ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत की पहली रिससिटेशन अकादमी (पुनर्जीवन अकादमी) की स्थापना की है. यह अकादमी EMRI ग्रीन हेल्थ सर्विसेज (EMRI GHS) द्वारा शुरू की गई है, जो देश की अग्रणी आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा प्रदाता है. इस पहल का उद्देश्य भारत में हृदयाघात (कार्डियक) से होने वाली मृत्यु दर को कम करना और लोगों के बीच पुनर्जनन (रेससिटेशन) तकनीकों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है.
हृदय देखभाल में तेज़ प्रतिक्रिया का लक्ष्य
तेलंगाना में बेहतर एम्बुलेंस सुविधा
श्री कर्णन ने बताया कि तेलंगाना में एम्बुलेंस की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सिफारिश के अनुसार, प्रति एक लाख लोगों पर एक बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) और एक एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (ALS) एम्बुलेंस होनी चाहिए. तेलंगाना में वर्तमान में हर 64,500 लोगों पर एक एम्बुलेंस उपलब्ध है. हमारा लक्ष्य इसे और बेहतर कर प्रति 50,000 लोगों पर एक एम्बुलेंस तक पहुंचाना है."
CPR जागरूकता की कमी एक चुनौती
भारत में हर साल लगभग 12 लाख लोग अचानक हृदयाघात का शिकार होते हैं, लेकिन सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन) के बारे में जागरूकता केवल 2% लोगों में ही है. इसके अलावा, घटनास्थल पर मौजूद लोगों द्वारा सीपीआर दिए जाने के मामले बहुत कम देखे जाते हैं. ये चौंकाने वाले आंकड़े पुनर्जनन रणनीतियों को बेहतर करने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाते हैं.
वैश्विक मानकों के अनुरूप पहल
यह अकादमी देश में अपनी तरह की पहली संस्था है, जो पुनर्जनन प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिए समर्पित है. यह दुनिया के 30 अन्य देशों की सूची में शामिल हो गई है, जहां ऐसी अकादमियां मौजूद हैं. EMRI GHS कैंपस में इस अकादमी के उद्घाटन के साथ एक नेतृत्व कार्यशाला का आयोजन भी किया गया. दो दिवसीय इस आवासीय कार्यशाला में 75 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें NIMS और अपोलो जैसे संस्थानों के डॉक्टर, सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी, विशेषज्ञ और क्षेत्र के अन्य प्रमुख नेता शामिल थे.
2030 तक बड़ा लक्ष्य
कार्यशाला का उद्देश्य ग्लोबल रेससिटेशन एलायंस (GRA) के 10 चरणों को लागू करने में सहायता करना है, जो हृदयाघात से बचाव दर बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर स्वर्णिम मानक माना जाता है. अकादमी का मानना है कि इन दस चरणों के प्रभावी कार्यान्वयन से भारत के लक्षित क्षेत्रों में हृदयाघात के मामलों में स्वतःस्फूर्त संचलन की वापसी (ROSC) दर 2030 तक 2% से बढ़कर 10% हो सकती है. यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में एक कदम है, बल्कि लोगों को जीवन रक्षक कौशल से लैस करने की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास है. हैदराबाद की यह अकादमी देश भर में एक मिसाल बन सकती है.