Indian Satellites SpaDeX Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) मिशन के तहत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया. इसरो ने बताया कि टेस्ट के दौरान दो भारतीय उपग्रह, SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट), एक-दूसरे के 3 मीटर के दायरे तक पहुंच गए और फिर उन्हें सुरक्षित दूरी पर ले जाया गया.
डॉकिंग प्रक्रिया को लेकर इसरो ने बताया कि, '15 मीटर और फिर 3 मीटर की दूरी तक ये टेस्ट किया गया. सैटेलाइट को 10 मिलीमीटर प्रति सेकंड की गति से कंट्रोल तरीके से करीब लाया गया और फिर पीछे हटाया गया. आगे की प्रक्रिया के लिए डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है.'
SpaDeX Docking Update:
— ISRO (@isro) January 11, 2025
We are further close, we see each other from an Inter Satellite Distance (ISD) of 105m#SPADEX #ISRO pic.twitter.com/9O4Sydk0Ly
डॉकिंग, जिसे 'अंतरिक्ष में हाथ मिलाना' कहा जाता है, एक जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. भारत इस उपलब्धि को स्वदेशी रूप से विकसित भारतीय डॉकिंग सिस्टम का उपयोग करके हासिल कर रहा है.
SpaDeX Docking Update:
— ISRO (@isro) January 11, 2025
At 15m we see each other clearer and clearer, we are just 50 feet away for an exciting handshake 🤝 #SPADEX #ISRO
स्पैडेक्स मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को लॉन्च किया गया था. यह मिशन PSLV C60 रॉकेट के माध्यम से 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में दो सैटेलाइट को स्थापित करने के लिए किया गया. इस मिशन का उद्देश्य भारत को भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए तैयार करना है, जैसे कि
डॉकिंग प्रक्रिया की सफलता भारत को इस तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बना देगी. यह न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि अंतरिक्ष में स्वायत्त प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए भी नई राह खोलेगा.
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने डॉकिंग को एक जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया बताया. उन्होंने कहा, 'डॉकिंग तभी की जाएगी जब सभी सेंसर पूरी तरह कैलिब्रेट हो जाएंगे और जमीन पर परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा. पहली बार के प्रयास में चुनौतियां सामान्य हैं, लेकिन हमारी टीम पूरी तरह तैयार है.'
डॉकिंग के बाद दोनों सैटेलाइट एक संयुक्त अंतरिक्ष यान के रूप में कार्य करेंगे. प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, एक सैटेलाइट से दूसरे में विद्युत शक्ति स्थानांतरित की जाएगी. अंतिम चरण में, दोनों सैटेलाइट अनडॉक होकर स्वतंत्र रूप से कार्य करेंगे, जिसके बाद प्रक्रिया को सफल घोषित किया जाएगा.
स्पैडेक्स मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक प्रयास है. इस प्रक्रिया में सफलता भारत को स्वदेशी अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर बनाएगी और उसे वैश्विक अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में आगे ले जाएगी.