अमेरिकी एजेंसी USAID की फंडिंग को लेकर भारत में राजनीतिक हलचल तेज है. हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान के बाद यह मुद्दा चर्चा में आया. ट्रंप ने दावा किया कि USAID द्वारा दी गई धनराशि का उपयोग भारत में चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया गया था. भारत सरकार ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे बेबुनियाद और गलत करार दिया है. हालांकि कांग्रेस इस मामले को लेकर सवाल खड़े कर रही है.
भारत सरकार ने ट्रंप के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और साफ तौर पर कहा है कि देश में होने वाले चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं. सरकार के अनुसार, भारतीय लोकतंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाना अनुचित है. सरकार का कहना है कि किसी भी विदेशी संस्था या सरकार को भारतीय चुनाव प्रणाली को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
क्या है USAID?
USAID एक अमेरिकी एजेंसी है जो विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है. इसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग देना है. भारत में USAID के तहत कई परियोजनाएं संचालित होती हैं, जिनका लक्ष्य सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है. हालांकि, चुनावों को प्रभावित करने के आरोपों को लेकर अब इस एजेंसी की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
विपक्ष और राजनीतिक विवाद
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और पारदर्शिता की मांग की है. कांग्रेस लगातार OCCRP की रिपोर्टों पर मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश करती रही है. पार्टी के नेताओं की तरफ से इस मुद्दे को बार-बार उठाया जा रहा है. कांग्रेस इस मुद्दे को सरकार पर हमले के रूप में इस्तेमाल कर रही है.
कुछ राजनीतिक दलों का कहना है कि यदि किसी विदेशी एजेंसी द्वारा चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप की कोशिश की गई है, तो इसकी गहन जांच होनी चाहिए. वहीं, सत्तारूढ़ दल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र मजबूत है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं हो सकता.