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India Daily

जम्मू-कश्मीर: कम बर्फबारी के बाद घुसपैठ की फिराक में आतंकी! अलर्ट पर सेना

भारी बर्फबारी के कारण आतंकियों के पास खाने-पीने के सामान की भी कमी हो जाती है, जिससे उनकी स्थानीय आबादी पर निर्भरता बढ़ जाती है. आतंकियों के नीचे आते ही मुठभेड़ की संभावना बढ़ जाती है.

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Edited By: Om Pratap
Indian Army on alert

हाइलाइट्स

  • भारी बर्फबारी के बाद आवाजाही हो जाती है मुश्किल
  • घुसपैठ के खिलाफ कार्रवाई गर्मियों की तरह जारी

Indian Army on alert: जम्मू-कश्मीर में कम बर्फबारी के कारण इंडियन आर्मी अलर्ट पर है. सूत्रों के मुताबिक, भारी बर्फबारी की कमी के कारण घुसपैठ के सभी रास्ते खुले रहते हैं, जिसके बाद आतंकियों की ओर से घुसपैठ की कोशिशें होती रहती हैं. जानकारों के मुताबिक, कश्मीर घाटी के ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी की कमी के कारण सेना अलर्ट पर है.

सूत्रों के मुताबिक, खुफिया सूचनाओं में कहा गया है कि घुसपैठ की लंबी अवधि का फायदा उठाने के लिए बड़ी संख्या में आतंकवादी, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार लॉन्चपैड्स में एक्टिव हैं. आमतौर पर, घाटी में सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है जिससे आवाजाही मुश्किल हो जाती है और एलओसी के पार से घुसपैठ कम हो जाती है. लेकिन इस बार बर्फबारी न होने से रास्ते खुले हुए हैं, जिससे आतंकियों के सीमा पार करने की आशंका बनी हुई है.

भारी बर्फबारी के बाद बाड़ से सैनिकों को बुला लेती है सेना

जानकारी के मुताबिक, इंडियन आर्मी आमतौर पर एलओसी बाड़ के पास तैनात सैनिकों को भारी बर्फबारी के बाद वापस बुला लेती है और उन्हें भीतरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगा देती है. एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि, इस साल ऐसा नहीं हुआ है और घुसपैठ विरोधी कार्रवाई गर्मियों की तरह ही बनी हुई है.

सर्दियों के महीनों में भी आतंकवादी ऊंचाई वाले इलाकों में अपने ठिकानों से निकलकर आबादी के ठिकानों के करीब चले जाते हैं. इसके अलावा, भारी बर्फबारी के कारण आतंकियों के पास खाने-पीने के सामान की भी कमी हो जाती है, जिससे उनकी स्थानीय आबादी पर निर्भरता बढ़ जाती है. आतंकियों के नीचे आते ही मुठभेड़ की संभावना बढ़ जाती है.

2023 में सुरक्षाबलों ने ढेर किए 71 आतंकी

बता दें कि 2023 में जम्मू-कश्मीर में कुल 71 आतंकवादी मारे गए. इस महीने की शुरुआत में, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा था कि घाटी में स्थिति सामान्य हो रही है, भले ही भारत के विरोधी आतंकवाद को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि हमारे दुश्मन आतंकवादी समूहों को राजौरी-पुंछ बेल्ट में काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. 

पिछले तीन साल के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जहां कश्मीर में सात सैनिक मारे गए, वहीं पिछले तीन वर्षों में राजौरी-पुंछ बेल्ट में घात लगाकर किए गए हमलों में 20 सैनिक मारे गए. अधिकारियों के मुताबिक, घुसपैठ में कमी और सुरक्षा बलों के सफल अभियानों के कारण सर्दियों के बाद घाटी में आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है. अब सुरक्षा बल अब गर्मियों के दौरान आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ते स्तर से निपटने की तैयारी कर रहे हैं.