Indian Army Project Udbhav: जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि 'प्रोजेक्ट उद्भव' की वजह से इंडियन आर्मी के जवान राजकौशल, युद्ध, कूटनीति, रणनीति को नए तरीके से समझ पा रही है. ‘हिस्टोरिकल पैटर्न इन इंडियन स्ट्रैटिजिक कल्चर’ कार्यक्रम में शामिल मनोज पांडे ने बताया कि पिछले साल यानी 2023 में प्रोजेक्ट उद्भव लॉन्च किया गया था. इसका मकसद हमारे प्राचीन ग्रंथों, काव्यों के रहस्यों को समझना और इसे इंडियन आर्मी में लागू करना था. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट उद्भव की वजह से इंडियन आर्मी के जवान महाभारत के अलावा अन्य महत्वपूर्ण युद्धों, पुराने महान शासकों और प्राचीन शासन कला को सीखकर आगे बढ़ रहे हैं.
दरअसल, जब प्रोजेक्ट उद्भव का एक खास मकसद पुराने ग्रंथों के ज्ञान को सेना का हिस्सा बनाना था. इस मकसद को पूरा करने को सेना ने एक बुकलेट तैयार की है, जिसका नाम 'परंपरागत' रखा गया है. इस बुकलेट में पुराने ग्रंथों से महत्वपूर्ण बातों को समाहित किया गया है. भारतीय सेना में ट्रेनिंग लेने वाले जवानों को भारतीय संस्कृति, विरासत, सैन्य इतिहास, कूटनीति, रणनीति के बारे में बताया जाएगा. साथ ही इसे फील्ड में लागू भी किया जाएगा.
प्रोजेक्ट उद्भव को 21 अक्टूबर 2023 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लॉन्च किया था. जनरल मनोज पांडे के मुताबिक, 'प्रोजेक्ट उद्भव' की वजह से देश के जवान ऐतिहासिक विरासत को समझ सकेंगे और उसके मुताबिक अपनी रणनीति तैयार कर सकेंगे.
प्रोजेक्ट उद्भव भारतीय सेना की ओर से की गई एक पहल है, जिसमें शासन कला, युद्ध कला, कूटनीति और शानदार रणनीति के प्राचीन भारतीय ग्रंथों से प्राप्त शासन कला और रणनीतिक विचारों की समझ को विकसित करना है. स्वदेशी सैन्य प्रणालियों की गहराई, उनके विकास, युगों से चली आ रही रणनीतियों से भूमि पर शासन करने वाली रणनीतिक विचार प्रक्रियाओं को समझना इसका उद्देश्य है.
प्रोजेक्ट उद्भव का उद्देश्य केवल इतना ही नहीं है, बल्कि इसका मकसद भारतीय सेना में स्वदेशी रणनीतिक शब्दावली विकसित करना भी है. कुल मिलाकर इसका उद्देश्य प्राचीन ज्ञान को आधुनिक सैन्य शिक्षाशास्त्र के साथ जोड़ना है.
प्रोजेक्ट उद्भव के लिए 2021 से ही काम जारी थी. अक्टूबर 2023 में इस प्रोजेक्ट के तहत एक किताब जारी की गई, जिसमें प्राचीन ग्रंथों से चुनी गई 75 सूक्तियों को शामिल किया गया है. प्रोजेक्ट उद्भव में शामिल शब्द 'उद्भव' का अर्थ 'उत्पत्ति' है, जो हमारे राष्ट्र के पुराने धर्मग्रंथों और लेखों को स्वीकार करता है, जो सदियों पुराने हैं और इनमें गहन ज्ञान शामिल है. माना जा रहा है कि ये ज्ञान आधुनिक सैन्य रणनीतियों को लाभ पहुंचा सकता है.
इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक अद्वितीय और समग्र दृष्टिकोण तैयार करते हुए समकालीन सैन्य प्रथाओं के साथ प्राचीन ज्ञान का इस्तेमाल करना है. यह भारतीय सेना की एक दूरदर्शी पहल है जो सदियों पुराने ज्ञान को समकालीन सैन्य शिक्षाशास्त्र के साथ एकीकृत करना चाहती है.
प्राचीन ग्रंथों के अलावा प्रमुख सैन्य अभियानों और सम्राटों का अध्ययन भी इसमें शामिल है. चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक और चोलों के साम्राज्य अपने समय में फले-फूले और उनके प्रभाव में विस्तार हुआ. अहोम साम्राज्य के भी उदाहरण हैं, जिन्होंने 600 वर्षों तक सफलतापूर्वक शासन किया और मुगलों को बार-बार हराया.
1671 में लचित बोरफुकन के नेतृत्व में सरायघाट की लड़ाई समय का चतुराई से उपयोग, मनोवैज्ञानिक युद्ध को नियोजित करने, सैन्य खुफिया जानकारी पर ध्यान केंद्रित करने और मुगलों की रणनीतिक कमजोरी का फायदा उठाने के लिए चतुर राजनयिक वार्ता के यूज का बेस्ट एग्जाम्पल है.